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टमाटर की लाली से पीले हो रहे किसान

टमाटर की खेती से किसानों को हो रहा घाटा

पका हुआ लाल टमाटर खेतों में छोड़ने को मजबूर किसान

लखीसराय. लाल टमाटर की लाली से किसान लाल के बदले पीले हो रहे हैं. उन्हें टमाटर की खेती से इस कदर घाटा हो रहा है कि किसान अब टमाटर की खेती करने से भी कतराने लगे हैं. किसानों को टमाटर की खेती से पिछले साल के मुकाबले इस साल घाटा हुआ है. इसका मूल वजह यह है कि किसान शुरुआत की दौर में टमाटर का सीजन को नहीं पकड़ पाया. इस साल दियारा एवं एवं नदी के पानी आश्विन महीने के अंतिम सप्ताह तक रह गया. जिसके कारण किसानों के खेतों के पौधे को काफी हद तक नुकसान पहुंचा है. किसान को फिर से पौधा लगाना पड़ा. जिसके कारण उनका टमाटर का फसल पिछात हो गया. हाल यह है कि किसानों को टमाटर का भाव काफी कम होने के कारण उन्हें टमाटर के फसल को उन्हें अपने खेतों में ही छोड़ना पड़ रहा है. सदर प्रखंड के गढ़ी बिशनपुर पंचायत के रेहुआ गांव के किसान अनिल सिंह ने बताया कि दो से तीन पिकअप टमाटर उन्हें खेतों में ही मजबूरी वश छोड़ना पड़ा. एक एकड़ में 30 हजार रुपये की लागत से किसान टमाटर को खेती करते हैं. पूरे दिन कड़ी मेहनत के बाद मजदूरों को मजदूरी देकर टमाटर को खेत से तुड़वाते है. जिसके बाद उसे कैरेट में रखकर खेत से गांव की सड़क तक लाते है. एक कैरेट में 25 किलो टमाटर आता है. प्रति कैरेट का सब्जी मंडी तक पहुंचाने का भाड़ा 15 रुपये, प्रति कैरेट तुड़वाई 15 रुपये, तीन रुपये कमीशन एवं दो-दो रुपये लोडिंग एवं अनलोडिंग लिया जाता है. इसके अलावा फसल तैयार करने में 30 हजार रुपये प्रति एकड़ लागत होती है. रेहुआ में किसान नीलेश सिंह, राजेश कुमार, मनोरंजन कुमार आदि बताते हैं. इस तरह किसान बाजार भाव नहीं रहने के कारण अपनी जेब से घाटा कर भला टमाटर मंडी तक कैसे ले जायेंगे. किसान निलेश ने बताया कि बाजारों की मंडी में पिछले चार पांच दिनों से तीन सौ से चार सौ रुपये प्रति क्विंटल टमाटर बिक रहा. पिछले 10 दिन पूर्व आठ, नौ, एक हजार रुपये भी टमाटर की बिक्री हुई, लेकिन रेट लगातार गिरने के कारण अब किसान को मंडी जाने की हिम्मत नहीं हो रही है. इस जिले के टमाटर की खेती सैकड़ों एकड़ में फसल की जाती है. पिपरिया प्रखंड के रामचंद्रपुर, वलीपुर, मोहनपुर, रामनगर, बड़हिया के दरियापुर एवं सदर प्रखंड के साबिकपुर, दामोदरपुर, रेहुआ, बभनगामा में सैकड़ों एकड़ में टमाटर की खेती की जाती है. जिले में एक भी टोमेटो सॉस की फैक्ट्री लग जाने से किसानों के टमाटर के फसल के दाम अच्छे मिल सकते है. इसके साथ ही टमाटर की खेती को प्रोत्साहन मिल पाता एवं गांव के अन्य किसान भी टमाटर की फसल करके अपने आप को आर्थिक मजबूती की और अग्रसर हो पाते यह जिले के विधायक और सांसद से भी संभव हो सकता हैं.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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