इस साल मकर संक्रांति पर अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। यह संयोग तीन राशियों के लिए अत्यंत शुभ और लाभकारी है। आइए जानते हैं इस मकर संक्रांति कौन से शुभ योग बनने जा रहे हैं साथ ही इसका शुभ प्रभाव किन राशियों के जातकों को पड़ेगा।
Makar Sankranti Shubh Sanyog: जब सूर्य ग्रह धनु राशि से निकालकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस साल यह त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल मकर संक्रांति पर जो अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। यह संयोग 19 साल बाद बनने जा रहा है। ज्योतिर्विदों की मानें तो मकर संक्रांति पर बनने वाला यह संयोग तीन राशियों के लिए अत्यंत शुभ और लाभकारी है। आइए जानते हैं इस मकर संक्रांति कौन से शुभ योग बनने जा रहे हैं साथ ही इसका शुभ प्रभाव किन राशियों के जातकों को पड़ेगा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल मकर संक्रांति पर जो अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। यह संयोग 19 साल बाद बनने जा रहा है। ज्योतिर्विदों की मानें तो मकर संक्रांति पर बनने वाला यह संयोग तीन राशियों के लिए अत्यंत शुभ और लाभकारी है। आइए जानते हैं इस मकर संक्रांति कौन से शुभ योग बनने जा रहे हैं साथ ही इसका शुभ प्रभाव किन राशियों के जातकों को पड़ेगा
शुभ योग और मुहूर्त
14 जनवरी को माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है। प्रतिपदा यानी पहली तिथि 15 जनवरी को देर रात 03 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद द्वितीया तिथि है। कुल मिलाकर कहें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
14 जनवरी को माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है। प्रतिपदा यानी पहली तिथि 15 जनवरी को देर रात 03 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद द्वितीया तिथि है। कुल मिलाकर कहें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सबसे पहले पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है। इस योग का समापन सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर होगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग है। ज्योतिषियों की मानें तो वर्षों बाद मकर संक्रांति पर पुष्य नक्षत्र का संयोग है। इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। अत: पुष्य नक्षत्र में काले तिल का दान करने से साधक को शनि की बाधा से मुक्ति मिलेगी। इस शुभ अवसर पर बालव और कौलव करण के संयोग है।
मकर संक्रांति के दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे जिसे शिववास योग कहा जाता है। इस शुभ अवसर पर किसी समय भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा कर सकते हैं। वहीं, मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है। जबकि, महापुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक है।