समस्तीपुर. आम तौर पर गांवों में उगने वाला यह फल पित्त से संबंधित विभिन्न बीमारियों को दूर करने में काफी लाभकारी माना जाता है. इसके सेवन से पाचन में सुधार होता है और वजन कम करने में मदद मिलती है, क्योंकि इसमें कम कैलोरी और उच्च पानी की मात्रा होती है. इस फल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को निखारने और उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में सहायक होते हैं. जब यह फल पूरी तरह पकता है, तो इसका रंग पीला होता है, जिसमें औषधीय गुण छिपे होते हैं, जो विभिन्न बीमारियों के उपचार में लाभदायक साबित होते हैं.
समस्तीपुर के मोहनपुर के चिकित्सा पदाधिकारी सह आयुर्वेदाचार्य, डॉ. बालेश्वर शर्मा ने पिछले 20 वर्षों के अनुभव के आधार पर बताया कि यह फल, जिसे कदम कहा जाता है, किसानों द्वारा भी उगाया जाता है, लेकिन यह अक्सर जंगलों में स्वाभाविक रूप से भी उगता है. उन्होंने कहा कि यह कोई साधारण पेड़ नहीं है. इसमें औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में भरे हुए हैं. डॉ. शर्मा ने आगे बताया कि इसका सेवन शरीर में कफ की थोड़ी वृद्धि कर सकता है, लेकिन यह पित्त संबंधी बीमारियों को छूमंतर कर देता है. इसके अतिरिक्त, यह फल कई अन्य बीमारियों के उपचार में भी रामबाण साबित होता है.
कदम फल और इसकी लकड़ी से लाभ
उन्होंने कहा कि बागवानी करने वाले किसान कदम के फल से न केवल अच्छी आय अर्जित करते हैं, बल्कि इसकी लकड़ी भी काफी कीमती होती है. इस लकड़ी का उपयोग चौकी, टेबल और अन्य फर्नीचर बनाने में किया जा सकता है. कदम की लकड़ी मजबूत और टिकाऊ होती है, जिससे यह निर्माण उद्योग में एक महत्वपूर्ण सामग्री बन जाती है. इस प्रकार, किसान कदम फल और उसकी लकड़ी दोनों के जरिए आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है और उनके लिए एक स्थायी व्यवसाय का आधार बनता है.
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