छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में जो घटना घटी है, वह अत्यंत निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है।असामाजिक तत्वों को इससे बल मिलेगा
पत्थरबाजी और आगजनी जैसी घटनाएं न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि समाज में असुरक्षा और अशांति का माहौल भी पैदा करती हैं।
सतनामी समाज के लोगों द्वारा जैतखाम तोड़ने का विरोध करना और सीबीआई जांच की मांग करना उनके संवैधानिक अधिकारों का हिस्सा है,सभी समाज उनका समर्थन भी करे, लेकिन इस विरोध को विरोध के नियम में रहकर करना चाहिए था,सामाजिक अविश्वनीयता बढ़ती है ऐसे घटनाओं से।बड़ी बड़ी राजनैतिक पार्टी आंदोलन करती हैं, धार्मिक आंदोलन और भी होते है, पर यह तरीका किसी भी को हतप्रद कर सकता हैं।
संविधान हमें अपने विचार और असहमति प्रकट करने का अधिकार देता है, लेकिन वह अति हिंसा और विध्वंस के माध्यम से नहीं होना चाहिए। ऐसी घटनाएं संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ हैं और समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी चुनौतीपूर्ण होती हैं।
सरकार और प्रशासन को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। सतनामी समाज के ही प्रबुद्ध जागरूक जंन व सभी वर्गों को मिलकर इस तरह की हिंसा की निंदा करनी चाहिए और शांति और संवाद के माध्यम से समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए,ताकि उन्हें भी न्याय मिले और आंदोलन के बहाना गंदा फैला समाज को बदनाम करके वाले को कड़ी सजा हो,। 🙏