इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत होगी और समापन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन होगी. इस बार चातुर्मास पूरे 118 दिनों तक रहेंगे. पिछले साल चातुर्मास 148 दिनों के थे. ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि पिछले साल अधिकमास होने से दो श्रावण मास भी आए थे. इस कारण चातुर्मास 4 माह की बजाय 5 माह तक चले थे. चातुर्मास के बाद आने वाले त्योहार भी पिछले साल के मुकाबले इस बार 11 दिन पहले आएंगे.
इस साल के सोम प्रदोष की शुरुआत 20 मई से होगी और अंतिम सोम प्रदोष 30 सितंबर को रहेगा. वैदिक अक्टूबर की गणना सौरमास और चंद्रमा के आधार पर की जाती है. एक चंद्रमास 354 दिनों का होगा और एक सौरमास 365 दिन का होता है. इन दिनों में 11 दिनों का अंतर आता-जाता रहता है.
जन्माष्टमी 26 अगस्त व अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी जो पिछले साल 7 सितंबर को थी. हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को होगा जो पिछले साल 18 सितंबर को था. यानी 12 दिन पहले इस बार तीज मनाई जाएगी. इसी प्रकार सभी त्योहारों में 10 से 12 दिन पहले आने का अंतर रहेगा. जलझूलनी एकादशी 14 सितंबर को मनाई जाएगी, जो पिछले साल 25 सितंबर, अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर जो पिछले साल 28 सितंबर थी. पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से होगी, पिछले साल 30 सितंबर से हुई थी. नवरात्र 3 अक्टूबर और दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस बार दीपावली भी एक नवंबर को ही मनाई जाएगी, जो पिछले साल 12 नवंबर को आई थी.
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