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Gustakhi Maaf: चलो चुनाव आयोग को बधाई दे दें

-दीपक रंजन दास
चलो चुनाव आयोग को बधाई दे दें। भई बहुत बड़ा काम किया है इस शीर्ष संस्था ने जिसके पास बेशुमार अधिकार और शक्तियां हैं। निर्वाचन आयोग ने 22 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को अंतत: नोटिस जारी कर ही दिया। छठे चरण का मतदान 25 मई को होना है। आयोग ने दोनों पार्टियों के अध्यक्षों और स्टार प्रचारकों से अपने भाषण को सही करने, सावधानी बरतने और मर्यादा बनाए रखने के लिए कहा। निर्वाचन आयोग ने यह नोटिस तब जारी किया है जब चुनाव अपने अंतिम चरण में है। कुल सात में से पांच चरणों के मतदान हो चुके हैं। जिसका जो बनना-बिगडऩा था, बन बिगड़ गया। पूरा चुनाव मंदिर और सनातन के इर्दगिर्द घूमता रहा। आयोग ने दोनों प्रमुख दलों के स्टार प्रचारकों को धार्मिक और साम्प्रदायिक बयानबाजी नहीं करने के निर्देश भी दिये हैं। छठे चरण में 8 राज्यों की 58 सीटों पर चुनाव है। इनमें उत्तर प्रदेश की 14, बिहार की 8, हरियाणा की 10, दिल्ली की 7, पश्चिम बंगाल की 8, झारखंड की चार, ओडिशा की 6 और जम्मू-कश्मीर की एक सीट पर मतदान होना है। पिछली बार इनमें से 40 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। कांग्रेस को यहां एक भी सीट नहीं मिली थी। किसी भी चुनाव में माहौल बनाने का काम काफी पहले हो जाता है। एक दिन पहले चुनाव प्रचार रोक भी दिया जाता है। इस लिहाज से निर्वाचन आयोग का यह डंडा बहुत देर से चला है। वैसे भी जिस तरह की बातें राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारक कर रहे हैं, वो आपत्तिजनक हैं। कोई कह रहा है कि भाजपा फिर सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी। भाजपा कह रही है कि कांग्रेस सत्ता में आई तो राम मंदिर पर बुलडोजर चलवा देगी। इन दोनों ही बातों का कोई सिर पैर नहीं है। आतंकवाद को लेकर, नक्सलियों को लेकर भी अनर्गल बातें कही जा रही हैं। दरअसल, यही वो बातें हैं जो देश को मुद्दाविहीन राजनीति की ओर धकेल रही है। आज कोई भी बढ़ती कीमतों, सरकारी खजाने के अपव्यय, रोजगार का अभाव, राष्ट्रीय संपदा को निजी हाथों में सौंपने जैसे मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। देश फिलहाल गुस्से में है। वह एक को पूरी तरह निपटा देना चाहते हैं। यह भी मरे को मारने जैसा है। यदि भाजपाई कांग्रेस का नाम लेना बंद कर देते तो शायद वह खुद ब खुद खत्म हो जाती। पर इसके बाद एक नए विपक्ष का उठ खड़ा होना भी लाजिमी होता। भाजपा किसी भी कीमत पर यह होने नहीं देना चाहती। उसके पास कांग्रेस को कोसने के लिए काफी मसाला है। नई पार्टी के बारे में कुछ कहने के लिए उसे नए सिरे से मेहनत करनी पड़ेगी। इतनी सिर खपाई कौन करे। इससे तो अच्छा है कि कांग्रेस को जिंदा रखा जाए और चर्चाओं को राहुल पर ही केन्द्रित रखा जाए।

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