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कैदियों के पुनर्वास के लिए अधिक मजबूत ढांचे का निर्माण जरुरी: अतुल मलिकराम

वर्तमान दौर में, अपराध और सजा पर बहस अक्सर हॉट टॉक में तब्दील हो जाती है। लेकिन इस बहस के पीछे रहने वाले कुछ सवालों पर कम ही लोगों का ध्यान जाता है। इस विषय के केंद्र में सजा का उद्देश्य क्या होना चाहिए? क्या यह केवल अपराधियों को दंडित करने के लिए है, या उनका पुनर्वास करने और उन्हें उत्पादक नागरिक बनने का दूसरा मौका देने के लिए भी होना चाहिए? जैसे सवाल होने की जरुरत है।

हमारी प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत भी सजा का उद्देश्य केवल दंड देना नहीं, बल्कि कैदियों का पुनर्वास करना भी है। इस पूरी व्यवस्था का उद्देश्य कैदियों को न केवल उनके अपराधों के लिए दंडित किया जाना है, बल्कि उन्हें समाज में वापस लाने और कानून का पालन करने वाले नागरिक बनने के लिए आवश्यक कौशल और सहायता प्रदान करना भी है।

हालांकि फिलहाल भारत में कैदियों के पुनर्वास के लिए मौजूदा ढांचा अपर्याप्त सा नजर आता है। कई जेलें भीड़भाड़ वाली और अव्यवस्थित हैं, और कैदियों को शिक्षा, प्रशिक्षण या परामर्श जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए संसाधनों की कमी से जूझ रही हैं। नतीजतन, कई कैदी जेल से रिहा होने के बाद फिर से अपराध की दुनिया में पहुँच जाते हैं।

इस समस्या को दूर करने के लिए, हमें कैदियों के पुनर्वास के लिए एक मजबूत ढांचा बनाने की आवश्यकता है। जिसमें आधुनिक जेल सुविधाएं, शिक्षण व प्रशिक्षण, बेहतर परामर्श व चिकित्सा व्यवस्था, तथा सामाजिक पुनर्वास से संबंधी विशेष ढांचे का निर्माण आवश्यक है। कई मामलों में हम देखते हैं कि सैकड़ों कैदियों पर एक वाशरूम की व्यवस्था होती है, जिनकी साफ-सफाई न के बराबर होती है। कैदियों की शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण भी कई मायनों में अप-टू-द-मार्क देखने को नहीं मिलते। कैदियों को समाज में वापस लाने में मदद करने के लिए सामाजिक पुनर्वास कार्यक्रमों का आयोजन भी नए सिरे व तरीकों से कर सकते हैं।

इन सुधारों से न केवल कैदियों को लाभ होगा, बल्कि पूरे समाज को भी लाभ होगा। जब पूर्व कैदी उत्पादक नागरिक बन जाते हैं, तो वे अपराध में कमी, कर राजस्व में वृद्धि और सामाजिक स्थिरता में वृद्धि में योगदान करते हैं। इसके लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और नागरिक समाज को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि कैदियों के पुनर्वास के लिए एक मजबूत ढांचा बनाया जा सके। यह एक जटिल चुनौती है, लेकिन यह एक ऐसी चुनौती है जिसे हमें अपने समाज को सभी के लिए अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाने के लिए उठानी चाहिए।

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