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संडे हो या मंडे, बिलकुल न खाएं अंडे! FSSAI का अंडों में नाइट्रोफ्यूराॅन की जांच का आदेश; देशभर से लेंगे सैंपल

नई दिल्ली। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अंडों में नाइट्रोफ्यूरान नाम के प्रतिबंधित रसायन की मौजूदगी की जांच के लिए देशभर में नमूने एकत्र करने के निर्देश जारी किए हैं।

FSSAI ने यह कदम इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुई एक रिपोर्ट और वीडियो के बाद उठाया है, जिसमें दावा किया गया था कि बाजार में बिक रहे कुछ अंडों में प्रतिबंधित एंटीबायोटिक नाइट्रोफ्यूराॅन समूह की दवाओं के अवशेष पाए गए हैं।नाइट्रोफ्यूराॅन ऐसी एंटीबायोटिक दवाओं का समूह है, जिनका उपयोग भारत सहित कई देशों में खाद्य-उत्पादक पशुओं और पोल्ट्री में पूरी तरह प्रतिबंधित है। इन दवाओं के अवशेष लंबे समय तक अंडों और शरीर में बने रह सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जाती है।

खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे ब्रांडेड और बिना ब्रांड वाले दोनों प्रकार के अंडों के नमूने एकत्र करें।

इन नमूनों को देश की मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजा जाएगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि अंडों में किसी भी स्तर पर प्रतिबंधित रसायन मौजूद हैं या नहीं। यह पूरा मामला एक प्रीमियम अंडा ब्रांड से जुड़े वायरल दावों के बाद चर्चा में आया।

हालांकि संबंधित कंपनी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसके अंडे भारतीय खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप हैं। कंपनी ने अपने दावों से संबंधित राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NABL) से मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला से कराई गई जांच रिपोर्ट भी साझा की है।

FSSAI की जांच में क्या आया?

अब तक खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की ओर से कोई आधिकारिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल केवल नमूना संग्रह और परीक्षण की प्रक्रिया चल रही है। अंतिम परिणाम आने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि अंडों में नाइट्रोफ्यूराॅन या उससे जुड़े अवशेष पाए गए हैं या नहीं।

नाइट्रोफ्यूराॅन स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा?

नाइट्रोफ्यूराॅन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में सीमित साक्ष्य हैं, लेकिन पशुओं के अध्ययन और मनुष्यों में दवा के रूप में उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों में शामिल हैं: 

  • कैंसर का खतरा: सबसे बड़ी चिंता संभावित कैंसरजन्य प्रभाव है, हालांकि यह दीर्घकालिक और उच्चस्तरीय जोखिम से जुड़ा है।
  • एलर्जी और श्वसन संबंधी समस्याएं: कुछ व्यक्तियों में, विशेष रूप से जब दवा के रूप में उपयोग किया जाता है, तो इससे बुखार, ठंड लगना, खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी तीव्र फुफ्फुसीय (फेफड़ों से संबंधित) प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।
  • पाचन संबंधी समस्याएं: मतली, उल्टी, भूख न लगना, पेट दर्द और दस्त सबसे आम दुष्प्रभाव हैं, जो आमतौर पर दवा लेने के पहले सप्ताह के दौरान होते हैं।
  • लीवर और गुर्दे की समस्याएं: नाइट्रोफ्यूरान का उपयोग लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसमें तीव्र हेपेटोसेलुलर (hepatocellular) और कोलेस्टेटिक चोट (cholestatic injury) शामिल है। किडनी की गंभीर समस्या वाले मरीजों के लिए इसका सेवन विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है।
  • तंत्रिका क्षति: हाथों और पैरों में सुन्नपन, झुनझुनी या जलन (परिधीय न्यूरोपैथी) जैसे तंत्रिका संबंधी प्रभाव भी संभव हैं

Manoj Mishra

Editor in Chief

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