सेहत

चाय पर मंडराता ये ख़तरा- दुनिया-जहान

भारत सहित दक्षिण एशिया के कई देशों में परिवार और दोस्तों के साथ बातचीत में चाय एक अहम हिस्सा है.

आपने शायद देखा होगा कि अब जापानी चाय माचा दुनिया भर में तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है. लेकिन जलवायु परिवर्तन का असर इसकी फसल पर साफ़ दिखाई दे रहा है.

जापानी उत्पादों के निर्यात पर अमेरिका की ओर से थोपे गए टैरिफ़ से इनकी कीमत आसमान छूने लगी है.

दुनिया के कई देशों में चाय लोकप्रिय है और लगभग सभी जगह चाय उगाने वाले किसानों को जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

असम के नगांव के एक चाय बागान से चाय की पत्तियां तोड़ती महिला कामगार

दुनिया-जहान में यही जानने की कोशिश करेंगे कि क्या विश्व में चाय उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं?

अब चाय भारत, जापान, स्कॉटलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी उगाई जाती है. दुनिया में अनेक प्रकार के लोग चाय पसंद करते हैं.”

चाय की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पानी के बाद यह सबसे अधिक पिया जाने वाला पेय है.

यह कॉफ़ी, वाइन, बीयर और दूसरी शराबों से भी अधिक पी जाती है. तो सवाल उठता है कि चाय में ऐसी क्या ख़ास बात है?

कैथरिन बर्नेट कहती हैं कि दुनिया भर में चाय लोगों को साथ लाने वाले रिवाजों का हिस्सा है, लेकिन चाय के पौधे का इतिहास कई सदियों पहले चीन में शुरू हुआ था.

पहले वहां चाय के पौधों को सुखा कर पाउडर बना कर पानी में डाल कर कटोरी में परोसा जाता था.

कैथरिन बर्नेट  में कला इतिहास की प्रोफ़ेसर भी हैं और चीनी संस्कृति की विशेषज्ञ हैं.

वो बताती हैं कि चौदहवीं शताब्दी में मिंग राजवंश के शासन के दौरान चाय के सेवन में बदलाव आया.

चाय का पाउडर पानी में मिलाए जाने के बजाय अब चाय के पत्तों को खौलते हुए पानी में डाल कर परोसा जाने लगा.

कैथरिन बर्नेट ने बताया कि मिंग राजवंश के दौरान चाय की केतली छोटी होने लगी.

आठ इंच की केतली के बजाय अब छोटी दो या तीन इंच की केतली में चाय बनाई जाने लगी. चाय की केतली का आकार और उसके ढक्कन भी बदलने लगे.

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button