दिल्ली में पलूशन ने हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। ये हम नहीं बल्कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के डॉक्टरों का कहना है। दिल्ली में पिछले कई दिनों से प्रदूषण के संदर्भ में एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. अनंत मोहन ने कहा कि राजधानी में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हैं। स्वस्थ लोग भी बीमार हो रहे हैं, इसलिए प्रदूषण कम करने के लिए कारगर कदम उठाने पड़ेंगे।
डॉ. अनंत मोहन ने कहा कि जब तक सभी हेल्थ इमरजेंसी नहीं मानेंगे तब तक यह यह समस्या दूर नहीं होगी। लोग बीमार होते रहेंगे। एम्स के डाक्टरों ने कहा कि पिछले दो-तीन सप्ताह से सांस के मरीज 30-40 प्रतिशत बढ़ गए हैं। प्रदूषण शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करता है। सांस की बीमारियों के अलावा ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक व मानसिक बीमारी भी होती है।
उन्होंने गर्भवती महिलाओं की सेहत पर भी असर पड़ता है। डॉ. अनंत मोहन ने कहा कि गर्मियों में भी हवा की गुणवत्ता अच्छी नहीं रहती है। सरकारी एजेंसियों की ओर से प्रदूषण कम करने के लिए उठाए जा रहे कदम प्रभावी नहीं है। बचाव के लिए एन 95 मास्क पहनना जरूरी है। दिल्ली में खुली जगह नहीं है। धूल-धुआं निकलने की जगह नहीं है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान का समर्थन करते हुए, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत प्रतिबंधित सभी गतिविधियों पर साल भर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को दोनों राज्यों में पराली जलाने के मुद्दे पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन और एन वी अंजारिया की पीठ ने कहा, “यदि पंजाब और हरियाणा को दिए गए सीएक्यूएम (CAQM) के सुझावों को लागू किया जाता है, तो पराली जलाने की समस्या से पर्याप्त रूप से निपटा जा सकता है। इसलिए, हम दोनों राज्यों को एक संयुक्त बैठक करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि सीएक्यूएम के सुझावों को सावधानीपूर्वक लागू किया जाए।





