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कांग्रेस ने 8 भूमिहार समेत 19 सवर्ण कैंडिडेट उतारे, राजद के आधे से ज्यादा उम्मीदवार यादव

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से मुकाबले के लिए महागठबंधन ने अपने सामाजिक समीकरण को विस्तार देने की कोशिश की है। महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस की अब तक की घोषित कैंडिडेट लिस्ट में में इसके प्रयास दिखते हैं। दोनों दलों ने अपने परंपरागत वोटरों के साथ ही सर्वसमाज का भी पूरा ख्याल रखा है। उधर, वामदलों ने भी अपने-अपने आधार वोट बैंक को तवज्जो दी है। कांग्रेस ने 8 भूमिार मेत 19 सवर्णों को टिकट दिया है। वहीं, राजद ने आधे से ज्यादा उम्मीदवार यादव समाज से उतारे हैं बिहार में सवर्ण, दलित और मुसलमान कांग्रेस के परंपरागत वोटर रहे हैं। अपनी खोयी जमीन वापस लाने के प्रयास में जुटी कांग्रेस पार्टी ने सवर्ण, मुसलमान तथा दलित समाज से आने वाले नेताओं पर भरोसा जताया है। सवर्णों को खुले मन से टिकट देने के साथ ही इस बार पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को भी तरजीह दी है। कांग्रेस पांच मुस्लिमों को मैदान में उतारा है।

वहीं, राजद ने अपने जनाधार वोट मुस्लिम और यादव का पूरा ख्याल रखा है। पार्टी ने 51 सीटों में से 28 यादवों को चुनावी मैदान में उतारा है। 6 मुस्लिमों को भी टिकट दिया गया है। वामदल और वीआईपी ने भी समीकरण साधकर टिकट दिए हैं।

अति पिछड़ों पर विशेष मेहरबानी, नीतीश के वोट बैंक पर नजर:

महागठबंधन इस बार अति पिछड़ा वर्ग को साधने में जुटा है। टिकट बंटवारे में इसकी झलक दिख रही है। बिहार में करीब 36 फीसदी आबादी वाले ईबीसी वर्ग को एनडीए खासकर नीतीश कुमार की जदयू का वोट बैंक माना जाता है। महागठबंधन शुरू से ही इस वोट बैंक में सेंध लगाने की फिराक में है। राहुल गांधी ने पटना, राजगीर सहित कई जगहों पर इस वर्ग के साथ संवाद भी किया है।यही कारण है कि कांग्रेस के अलावा राजद, वीआईपी और वाम दलों ने भी अति पिछड़ा वर्ग को टिकट देकर उन्हें भी तरजीह दी है। हालांकि, अभी महागठबंधन में 40 फीसदी सीटों पर प्रत्याशियों की आधिकारिक घोषणा बाकी है।कांग्रेस ने अभी तक 50 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है। इनमें सवर्णों की बात करें तो पार्टी ने सबसे अधिक 8 भूमिहार उतारे हैं। इसके अलावा 6 ब्राह्मण और 5 राजपूतों को टिकट दिया है। यानी कुल 19 सवर्ण को टिकट दिया है। वहीं, पिछड़ा वर्ग से 10 नेताओं को उम्मीदवार बनाया है। इनमें चार यादव, एक कुर्मी, एक गोस्वामी, एक कुशवाहा और तीन वैश्य हैं। 6 अति पिछड़ा वर्ग के नेताओं को टिकट दिया है, जबकि 5 मुस्लिमों को मैदान में उतारा गया है।

कांग्रेस ने अनुसूचित जाति की 9 सीटों पर दलित प्रत्याशी उतारे हैं। एक अनुसूचित जनजाति को टिकट दिया है। पिछले चुनाव को देखें तो कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। तब पार्टी के सबसे अधिक 34 पर सवर्ण उम्मीदवार थे। 10 मुस्लिम और 13 सीटों पर दलितों को टिकट दिया था। 10 पिछड़ा वर्ग और तीन अति पिछड़ा वर्ग को जगह दी थी।

वामदलों ने ओबीसी को सर्वाधिक 15 टिकट दिए

लेफ्ट पार्टियों ने 29 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। इनमें सर्वाधिक 15 सीटों पर टिकट पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को दी गई है। सीपीआई माले ने 19, सीपीआई ने 6 और सीपीएम ने 4 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। ये तीनों दल इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं।

वाम दलों ने अति पिछड़ा वर्ग को एक, दलित को आठ, अल्पसंख्यक समाज के दो उम्मीदवारों को पार्टी सिंबल सौंपा है। सवर्ण समाज में भूमिहार से दो और राजपूत से एक उम्मीदवार बनाया है। सुपौल स्थित पिपरा विधानसभा सीट भाकपा माले के कोटे में आया है, इस सीट पर दूसरे चरण में चुनाव होना है। इस सीट के लिए अबतक प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई है। वर्ष 2020 चुनाव में वामदलों की 29 सीटों में से चार पर अगड़ी जाति के प्रत्याशी थे। तीन मुस्लिम, तीन यादव और शेष दलित और अति पिछड़ा समुदाय के थे।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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