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चीन पूरा जद में… भारत की ‘अग्नि प्राइम मिसाइल’ के खौफ में ड्रैगन, 8,000 किमी क्षमता की रिपोर्ट से उड़ी नींद

बीजिंग: भारत के एक परमाणु मिसाइल परीक्षण से जुड़ी खबर से चीन में हलचल है। चीन में चर्चा है कि भारत सीक्रेट तरीके से एक खतरनाक अग्नि प्राइम मिसाइल पर काम कर रहा है। हांगकांग स्थित एशिया टाइम्स ने चीनी सेना के सूत्रों के हवाले से बताया है कि उनको भारत के 8,000 किलोमीटर क्षमता वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) बनाने की जानकारी मिली है। इसे भारत की अग्नि-V मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM) का उन्नत संस्करण बताया गया है। चीन में इससे चिंता है क्योंकि यह क्षेत्र के शक्ति समीकरण बदल सकती है।चीन यह दावा करता रहा है कि अंतरराष्ट्रीय जांच से बचने के लिए भारत व्यवस्थित रूप से अपनी मिसाइल क्षमताओं को कम करके बताता है। नई मिसाइल से जुड़ी रिपोर्ट ने बीजिंग के इस दावे को फिर से हवा दी है। इस नई मिसाइल से भारत की रणनीतिक पहुंच का विस्तार चीन ही नहीं बल्कि पूर्वी एशिया और उसके बाहर के बड़े हिस्से तक हो जाएगा। इसी ने बीजिंग की चिंता को बढ़ा रखा है।भारत तेजी से बीजिंग की हाइपरसोनिक DF-41 ICBM का जवाब तैयार कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की इस नई मिसाइल का लक्ष्य पूर्ण पेलोड के साथ 8,000 किलोमीटर की सीमा प्राप्त करना है। यह अग्नि-V की आधिकारिक 5,000 किलोमीटर की सीमा को काफी पीछे छोड़ देती है।अग्नि-V के 2012 में लॉन्च होने के बाद से चीनी सरकारी मीडिया और विशेषज्ञों ने बार-बार यह कहा है कि भारत अपनी मिसाइल क्षमता को कम करके बताया है। हालांकि भारत ने लगातार ऐसे दावों का खंडन किया है। उसने इस बात पर जोर दिया है कि अग्नि-V विश्वसनीय न्यूनतम निवारण का पालन करता रहा है और किसी देश को निशाना नहीं बनाया गया है।

कैसी होगी नई मिसाइल

एशिया टाइम्स के सूत्रों के अनुसार, भारत की नई अग्नि-V में रिंग-लेजर गायरो नेविगेशन और ठोस-ईंधन बूस्टर का उपयोग किया जाएगा। इससे मानक 1,500 किलोग्राम पेलोड पर 8,000 किमी की सीमा मिलेगी, जो थर्मोन्यूक्लियर वारहेड्स के लिए पर्याप्त है। पूर्ण-पेलोड 8,000 किमी की दूरी चीन को कवर करेगी। वहीं हल्के विन्यास (500-1,000 किलोग्राम MIRV) बैलिस्टिक मॉडल के अनुसार, ग्वांगझू या फिर टोक्यो तक जा सकते हैं।

चीन के लिए यह रिपोर्ट एक कड़े परमाणु चक्र को रेखांकित करती है। चीन के भंडार में 2030 तक 1,000 परमाणु हथियार होने का अनुमान है। वहीं भारत के पास 200 से ज्यादा परमाणु हथियार होंगे। ऐसे में भारत के आईसीबीएम पर जोर देने से एचक्यू-19 बीएमडी विस्तार या डीएफ-27 हाइपरसोनिक तैनाती जैसे जवाबी उपाय हो सकते हैं। इसने ना सिर्फ चीनी रक्षा विशेषज्ञों बल्कि चीनी सेना और सरकार की फिक्र को बढ़ाया है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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