देश दुनिया

भारत के H1B वीजा टैलेंट पर कनाडाई PM की नजर, टेक पेशेवरों के लिए खोलेंगे दरवाजे?

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अमेरिका में H-1B वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी के बाद हाइली स्किल्ड वर्कर को आकर्षित करने के लिए एक नई योजना पेश करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि कनाडा इस उथल-पुथल को टैलेंट, इनोवेशन और देश के भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक अवसर के तौर पर देख रहा है. उनकी ये योजना आगामी हफ्तों में वाशिंगटन के वीजा प्रतिबंध के मुकाबले एक प्रतिस्पर्धी जवाब के रूप में सामने आएगी.

प्रधानमंत्री कार्नी ने स्पष्ट रूप से कहा कि   इस अवसर का लाभ उठाने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में अब लोगों को आसानी से H-1B वीजा नहीं मिलेगा. ये स्किल्ड लोग हैं और कनाडा के लिए एक अवसर हैं और हम जल्द ही एक प्रस्ताव लाएंगे’

‘कनाडा के लिए है मौका’

उन्होंने जोर देकर कहा कि ये केवल संख्याओं का मुद्दा नहीं, बल्कि टैलेंट, इनोवेशन और कनाडा की भविष्य की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है. उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि उनकी ये योजना टेक पेशेवरों पर केंद्रित होगी, जिसमें अस्थायी वर्क परमिट और स्थायी निवास के विकल्प शामिल हो सकते हैं.

ट्रंप का वीजा टैरिफ

दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने 19 सितंबर 2025 को एक कार्यकारी आदेश जारी कर एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाने की घोषणा की जो 21 सितंबर से प्रभावी हो गया है. एच-1बी वीजा विज्ञान, इंजीनियरिंग और गणित से जुड़ी विशेषज्ञ भूमिकाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसका अधिकांश लाभ भारत (71%) और चीन (11.7%) के पेशेवरों को मिलता है.

सिलिकॉन वैली में हलचल

वाशिंगटन के इस फैसले से सिलिकॉन वैली में चिंता बढ़ गई है, जहां कंपनियां चेतावनी दे रही हैं कि आसमान छूते शुल्क से विदेशी इंजीनियरों और डेवलपर्स की आपूर्ति श्रृंखला कमजोर हो जाएगी.   लंबे वक्त से अपने तकनीकी कार्यबल में महत्वपूर्ण कमियों को भरने के लिए H-1B वीजा धारकों पर निर्भर रहा है.

राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सहयोगी लंबे समय से H-1B कार्यक्रम की आलोचना करते रहे हैं. उनका तर्क है कि ये अमेरिकी मजदूरी को कम करता है. हालांकि, ये कार्यक्रम अमेरिकी तकनीकी फर्मों द्वारा विज्ञान, इंजीनियरिंग और गणित की भूमिकाओं को भरने के लिए अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है. ये वीज़ा आम तौर पर तीन से छह साल की अवधि के लिए जारी किए जाते हैं.

भारतीयों ने ली कनाडा की नागरिकता

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच 32,000 टेक वर्कर कनाडा आए, जिनमें से लगभग आधे भारतीय थे. 2024 में 87,000 भारतीयों को कनाडाई नागरिकता मिली जो सबसे बड़ा समूह था. विशेषज्ञों का मानना है कि एच-1बी बदलाव से हजारों भारतीय पेशेवर कनाडा की ओर रुख कर सकते हैं जो उच्च वेतन और जीवन स्तर प्रदान करता है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button