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वेदांता एल्युमीनियम ने लगभग 2,000 इंजीनियर्स के साथ इंजीनियर्स डे मनाया, जो भारत की मैन्युफैक्चरिंग उत्कृष्टता को आगे बढ़ा रहे हैं

– वेदांता एल्युमीनियम के इंजीनियर सिर्फ प्लांट ही संचालित नहीं करते, वे नवाचार और स्थायित्व को आगे बढ़ाने वाले असली बदलावकर्ता भी हैं
– वेदांता झारसुगुड़ा में भारत की पहली महिलाओं द्वारा संचालित पॉटलाइन शुरू की गई, जो समावेशी मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में एक बड़ा कदम है
– वेदांता एल्युमीनियम नई पीढ़ी के इंजीनियरिंग टैलेंट को आगे बढ़ाने में गहराई से निवेश कर रहा है

रायपुर/ भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम निर्माता कंपनी, वेदांता एल्युमीनियम ने इंजीनियर्स डे पर अपने लगभग 2,000 इंजीनियर्स के योगदान का जश्न मनाया। ये इंजीनियर्स भारत के धातु और खनिज उद्योग का भविष्य गढ़ रहे हैं। औसतन 29-30 साल की उम्र वाले ये युवा इंजीनियर्स जोश और गहरी तकनीकी विशेषज्ञता के साथ मिलकर वेदांता के कामकाज में नवाचार, दक्षता, सुरक्षा और स्थायित्व को आगे बढ़ा रहे हैं। ओडिशा के झारसुगुड़ा और लांजीगढ़ तथा छत्तीसगढ़ के कोरबा जैसे प्रमुख स्थानों पर फैले ये इंजीनियर्स भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।

नवाचार और समावेशिता की इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए, वेदांता एल्युमीनियम ने झारसुगुड़ा प्लांट में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि भारत की पहली ऐसी पॉटलाइन की शुरुआत है, जिसे पूरी तरह से महिलाएँ चला रही हैं। यह साहसिक कदम औद्योगिक उत्पादन में बड़ा बदलाव लाने के साथ ही कार्यस्थल पर लैंगिक समानता व विविधता को बढ़ावा देता है। अपनी रणनीतिक योजना के तहत, जिसमें 2030 तक कार्यबल में 30% महिलाओं की भागीदारी का लक्ष्य है, कंपनी ने एक पूरी स्मेल्टर लाइन महिला इंजीनियर्स और तकनीशियनों को ही सौंप दी है।

यह उपलब्धि वेदांता एल्युमीनियम की समावेशी मैन्युफैक्चरिंग यात्रा का हिस्सा है, जिसे कई प्रेरणादायक कहानियाँ आकार देती हैं। ऐसी ही एक कहानी है सुप्रिता नंदा की, जो 2006 में वेदांता झारसुगुड़ा की पहली महिला इंजीनियर बनीं। लगभग दो दशकों में उन्होंने ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स, क्वालिटी और कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर काम किया है और आज 1,000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पोर्टफोलियो का नेतृत्व कर रही हैं। आज वेदांता एल्युमीनियम में महिलाएँ पॉटलाइन संचालन, कमर्शियल, लॉजिस्टिक्स, कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन और सीएसआर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नेतृत्व कर रही हैं, जो अहम् भूमिकाओं में उनकी लगातार बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है।

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इस अवसर पर वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ, राजीव कुमार ने कहा, “हमारे इंजीनियर ही हमारी मैन्युफैक्चरिंग उत्कृष्टता की असली ताकत हैं। एल्युमीनियम निर्माण में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की पहल करने से लेकर हर प्रक्रिया में स्थायित्व को शामिल करने तक, उनका योगदान फैक्ट्री फ्लोर से कहीं आगे तक जाता है। झारसुगुड़ा में भारत की पहली महिलाओं द्वारा संचालित पॉटलाइन की शुरुआत हमारे लिए गर्व का पल है, जो समावेशी और भविष्य के लिए तैयार कार्यस्थलों को बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम प्रतिभा को सशक्त बनाने, विविधता को बढ़ावा देने और वैश्विक एल्युमीनियम मैन्युफैक्चरिंग के भविष्य को आकार देने पर केंद्रित हैं।”

कंपनी नई पीढ़ी के इंजीनियरिंग टैलेंट को तैयार करने में गहराई से निवेश करती है। ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी (जीईटी) प्रोग्राम्स के ज़रिए नए ग्रेजुएट्स को सीधे काम का अनुभव मिलता है। वहीं, लगातार अपस्किलिंग और रीस्किलिंग की पहल से इंजीनियर नई तकनीकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। अकादमिक और आरएंडडी संस्थानों के साथ साझेदारी के जरिए बड़े नवाचार हो रहे हैं, जैसे औद्योगिक कचरे को उच्च-शुद्धता वाली बैटरी-ग्रेड ग्रेफाइट में बदलना और डिजिटल ट्विन मॉडल का इस्तेमाल कर प्लांट संचालन की सटीक सिमुलेशन करना।

वेदांता एल्युमीनियम के कामकाज का दायरा और जटिलता इतनी व्यापक है कि कंपनी में अलग-अलग क्षेत्रों के इंजीनियर्स कार्य करते हैं, जैसे केमिकल, कंप्यूटर, सिविल, इलेक्ट्रिकल, माइनिंग, थर्मल और मैकेनिकल इंजीनियर। इन सभी की मिलीजुली विशेषज्ञता नवाचार, बेहतर संचालन और टिकाऊ विकास को आगे बढ़ाने में अहम् भूमिका निभाती है।

भारत के सबसे बड़े एल्युमीनियम उत्पादक के रूप में वेदांता एल्युमीनियम के उभरने का बड़ा कारण इसका कुशल इंजीनियरिंग दल है। यही लोग नए उत्पाद बनाने, प्रक्रियाओं को बेहतर करने और एल्युमीनियम उद्योग में आधुनिक शोध को आगे बढ़ाने में सबसे आगे हैं। उनकी मेहनत और योगदान ने कंपनी को तकनीक, टिकाऊपन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाए रखा है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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