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Big news : अस्पताल से निकलकर कोर्ट परिसर में शख्स ने लगा ली फांसी, पैर की चोट से था परेशान, बच्चे स्वीमिंग चैंपियन

भिलाई। दुर्ग जिला न्यायालय परिसर में आज सुबह एक शख्स की फांसी के फंदे पर लटकती लाश मिलने से सनसनी फैल गई। मृतक की पहचान दुर्ग नगर निगम के वार्ड 31 आपापुरा निवासी युवराज सार्वा ( 45) के रूप में हुई है। यह शख्स शुगर की बीमारी के चलते जिला अस्पताल में भर्ती था। शुक्रवार सुबह अस्पताल से निकलकर न्यायालय परिसर पहुंचा और फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। मामले में दुर्ग सिटी कोतवाली पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है।

बताया जाता है कि युवराज सार्वा फिलहाल ई रिक्शा चलाकर अपने और परिवार का भरण पोषण कर रहा था। वह गंभीर रूप से शुगर की बीमारी से पीड़ित था। जिसके चलते उसके पैर में उभरा जख्म ठीक होने का नाम नहीं ले रहा था। इसी वजह से उसे दुर्ग जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुगर की बीमारी के चलते पहले भी छह बार वह अस्पताल में भर्ती हो चुका था। सुबह 4 बजे के आसपास वह अस्पताल से निकलकर न्यायालय परिसर पहुंचा। यहां पर हनुमान मंदिर के पास टीन शेड में युवराज सार्वा ने नायलोन की रस्सी का फंदा लगाकर फांसी लगा लिया। इस बात की जानकारी नजदीक में रहने वाले राम अग्रवाल ने कोतवाली थाना पुलिस को दी।

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राम अग्रवाल ने बताया कि रोज की तरह वे मार्निंग वॉक के लिए सुबह साढ़े 4 बजे निकले थे। घर से निकलकर न्यायालय परिसर से होकर वे मैदान की ओर जा रहे थे तो उनकी नजर टीन शेड के पास खड़े एक शख्स पर पड़ी। सामने पानी की बोतल होने से उन्हें लगा कि मार्निंग वॉक पर निकला कोई व्यक्ति वहां एक्सरसाइज कर रहा है। इसलिए वे अपने रास्ते चले गए। लेकिन पांच सवा पांच बजे जब वे लौट रहे थे तो व्यक्ति का सिर एक तरफ झुका हुआ होने से उन्हें संदेह हुआ। नजदीक जाकर देखा तो वह फांसी के फंदे पर लटका हुआ था। बताते हैं कि मृतक की  पांच में से तीन बेटियां और एक बेटा स्वीमिंग में नेशनल चैंपियन हैं। फिलहाल युवराज सार्वा के खुदकुशी का कारण जानने पुलिस जांच कर रही है।

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बेटे ने लगाया प्रताड़ना का आरोप
मृतक युवराज सार्वा के एकलौते बेटे हेमंत सार्वा ने आरोप लगाया है कि हटरी बाजार के एक दुकान संचालक की प्रताड़ना से तंग आकर उसके पिता को खुदकुशी जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उसने बताया कि उसके पिता हटरी बाजार में सब्जी बेचने का काम करते थे। लेकिन वहां के एक दुकानदार द्वारा सब्जी बेचने से मना कर दिया गया। जबकि उस जगह पर लगभग 50 साल पहले उसके दादा ने सब्जी बेचने का काम शुरू किया था। दुकानदार द्वारा सब्जी बेचने से मना करने पर वे मानसिक और आर्थिक रूप से टूट गए। इससे बीपी और शुगर की बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया। पत्नी सहित पांच बेटियां और एक बेटा के बड़े परिवार का भरण पोषण करने में उन्हें दिक्कत होने लगी। मजबूरी में ई रिक्शा चलाना पड़ा। लेकिन फिर भी आर्थिक परेशानी बने रहने से उनका स्वास्थ्य दिन ब दिन बिगड़ती चली जा रही थी।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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