अपनी खनिज व वन्य संपदाओं के लिए दुनिया भर में अलग पहचान रखने वाले संस्कारधानी जबलपुर की जमीन में अब सोना का खजाना मिला है। सालों से चली आ रही खोज के बाद वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि कर दी है। जिसके बाद शहर का नाम दुनिया भर में खासकर स्वर्ण उत्पादन करने वाले देशों में चर्चा का विषय बन गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार जबलपुर की धरती में इतना सोना है कि देश की बहुत बड़ी मांग को पूरा किया जा सकता है।लौह अयस्क की खदानों के लिए पहचाने रखने वाले जबलपुर में अब सोना मिला है। इसने भू-वैज्ञानिकों के चेहरे पर चमक ला दी है। जिले की सिहोरा तहसील के महगवां केवलारी क्षेत्र में लौह और मैगनीज़ अयस्क के साथ सोने और अन्य धातुओं (ताम इत्यादि) की उपस्थिति दर्ज की गई है। अब तक कटनी जिले में धरती की गहराई में सोने की एक परत का पता कुछ वर्षों पूर्व चला था। लंबे समय तक चली खोज के बाद अब कटनी से ही लगे हुए जबलपुर जिले में इस धातु का पता चला है।कुछ समय पहले भौमिकी तथा खनिकर्म विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के भू-वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में सर्वेक्षण के दौरान नमूने एकत्र किए थे। इनके रासायनिक विश्लेषण में सोने सहित अन्य धातुओं की उपस्थिति का पता चला। इसकी मात्रा के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है। सोने का भंडार करीब 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसमें कई टन भंडरा होने की संभावना वैज्ञानिक जता रहे हैं।यह क्षेत्र पूर्व से ही लौह अयस्क और अन्य धातुओं के खनन के लिए वियात है। लौह अयस्क कई प्रदेशों के अलावा चीन और दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है। इनकी छोटी और बड़ी मिलाकर 42 खदानें अभी संचालित हो रही हैं। इसके अलावा लेटेराइट, मैग्नीज, सिलिका सेंड और लाइम स्टोन भी यहां मिलता है।

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