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वेदांता एल्युमीनियम ने परिवर्तनकारी कौशल पहल के माध्यम से देश भर में 15,000 से अधिक युवाओं को किया सशक्त

विश्व युवा कौशल दिवस पर वेदांता अपनी व्यावसायिक इकाइयों में समावेशी विकास, जमीनी स्तर पर इनोवेशन और उच्च-प्रभावी रोजगारपरकता का उत्सव मनाता है
रायपुर/ विश्व युवा कौशल दिवस पर भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी वेदांता एल्युमीनियम ने घोषणा की है कि उसने अपने गतिशील और समुदाय-आधारित कौशल कार्यक्रमों के माध्यम से देश भर में 15,000 से अधिक युवाओं को सशक्त किया है। ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों में फैली ये पहल उच्च-मांग वाले व्यवसायों में रोज़गार के लिए तैयार क्षमताएं निर्मित कर रही है और समावेशी, स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान कर रही है।

कंपनी के कौशल विकास प्रयास स्थानीय जरूरतों और वैश्विक उद्योग रुझानों के अनुरूप हैं, तथा सौर ऊर्जा व हॉस्पिटैलिटी से लेकर मोबाइल मरम्मत और सीएनसी ऑपरेशन तक, 25 से अधिक व्यवसायों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इन कार्यक्रमों में प्रशिक्षण के बाद भी मदद दी जाती है जिनमें प्रमाणन, जॉब प्लेसमेंट और उद्यमिता इनक्यूबेशन शामिल हैं। ओडिशा कौशल विकास प्राधिकरण (ओएसडीए) और नाबार्ड जैसी राज्य एजेंसियों और सीईएमएस जैसे उद्योग-संबद्ध संस्थानों के साथ साझेदारी में संचालित इसके प्रशिक्षण केंद्रों में प्लेसमेंट दर 70 प्रतिशत से अधिक है।

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वेदांता ने नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम (एनएटीएस) के तहत 500 से ज्यादा प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया है और बाद में अपने सभी परिचालनों में 18 आईटीआई प्रशिक्षुओं को शामिल किया है। प्रोजेक्ट पंछी जैसी पहल निम्न-आय वाले परिवारों की पहली पीढ़ी की छात्राओं को उच्च शिक्षा और रोज़गार में मदद करती है, जबकि प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के तहत 50 से ज्यादा प्रशिक्षु वर्तमान में वेदांता के संयंत्रों में उद्योग का अनुभव प्राप्त कर रहे हैं, जहां उन्हें उद्योग हेतु तैयार कौशल प्रदान किया जाता है।

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वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ राजीव कुमार ने कहा, ’’वेदांता में हमारा मानना है कि कौशल विकास राष्ट्र निर्माण का काम है। हमारी पहलें, सिर्फ आजीविका का सृजन ही नहीं कर रही हैं; बल्कि वे सम्मान और आत्मविश्वास को भी बढ़ावा दे रही हैं तथा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में चेन्ज-मेकर्स की एक नई पीढ़ी का निर्माण कर रही हैं। हमारा दृष्टिकोण स्थानीय वास्तविकताओं में गहराई से निहित है और साथ ही मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के मुताबिक है। हम मानव पूंजी को सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए सबसे शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में देखते हैं।’’

ओडिशा के लांजिगढ़ में, वेदांता एल्युमीनियम के कौशल विकास प्रयासों ने 700 से ज्यादा युवाओं को लाभान्वित किया है। 55 प्रतिशत से ज्यादा प्रशिक्षु महिलाओं के साथ यह कार्यक्रम समावेशिता और आर्थिक स्वतंत्रता पर केंद्रित है। यह इकाई नाबार्ड और ओडिशा कौशल विकास प्राधिकरण (ओएसडीए) के सहयोग से दो कौशल प्रशिक्षण केंद्र संचालित करती है। हॉस्पिटैलिटी, कंप्यूटर साक्षरता और वेल्डिंग, फिटिंग, इलेक्ट्रीशियन सेवाओं एवं क्रेन संचालन जैसे उच्च-मांग वाले व्यवसायों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण के बाद 76 प्रतिशत प्रतिभागियों को सूक्ष्म-लघु-मध्यम उद्यमों, इंडस्ट्री में नियुक्त किया गया है या वे स्व-रोज़गार कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ स्थित बाल्को में पिछले वर्ष 1,414 युवाओं को सौर पीवी, वेल्डिंग, फिटिंग, इलेक्ट्रिकल्स, सिलाई मशीन संचालन, खाद्य एवं पेय सेवा और मोबाइल मरम्मत तकनीक सहित सात व्यवसायों में प्रशिक्षण दिया गया। लगभग 72 प्रतिशत प्रशिक्षु महिलाएं थीं। 78 प्रतिशत प्लेसमेंट और स्व-रोज़गार दर के साथ प्रशिक्षुओं को अशोक लेलैंड, क्रॉम्पटन और वोल्वो आयशर जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में नियुक्त किया गया है। बाल्को के कौशल विकास मॉडल को विभिन्न संगठनों के साथ साझेदारी के माध्यम से और बढ़ाया गया है तथा सॉफ्ट स्किल क्लब, सुरक्षा जागरूकता सत्र एवं इंडिगो क्रू इनिशिएटिव जैसे गेस्ट इंटरैक्शन द्वारा इसे और भी बेहतर बनाया गया है। 2011 में वेदांता स्किल स्कूल की स्थापना के बाद से यह कार्यक्रम 11 राज्यों के 22 जिलों तक पहुंच चुका है और वेदांता के कार्यबल विकास प्रयासों का आधार बन गया है।

ओडिशा के झारसुगुडा में क्षेत्र के पहले आवासीय कौशल केंद्र ’वेदक्षता’ जैसी पहल के माध्यम से 162 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। अगले तीन वर्षों में इसका लक्ष्य 70 प्रतिशत से अधिक प्लेसमेंट के साथ 500 युवाओं को प्रशिक्षित करना है, जिससे वेदांता के भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करने के मिशन में मदद मिलती है। मोबाइल रिपेयरिंग, टेलरिंग, खाद्य एवं पेय सेवाओं, सौर प्रौद्योगिकी, हथकरघा बुनाई, टेराकोटा शिल्प आदि में प्रशिक्षित 150 से अधिक महिलाओं ने 35 गाँवों में सूक्ष्म उद्यम शुरू किए हैं। यह इकाई प्रोजेक्ट विद्याग्रह का भी नेतृत्व करती है, जो एक प्रमुख डिजिटल शिक्षा कार्यक्रम है, जिसने 106 सरकारी स्कूलों के 11,000 से अधिक छात्रों को लाभान्वित किया है और डिजिटल खाई को पाट दिया है।

ओडिशा में वेदांता के खनन कार्यों में, 156 युवाओं को खाद्य एवं पेय सेवा, सिलाई मशीन संचालन और सहायक इलेक्ट्रीशियन जैसे व्यवसायों में प्रशिक्षित किया गया है। यह प्रशिक्षण जमीनी स्तर पर लोगों को प्रेरित करके 30 से अधिक गाँवों तक पहुँचा है। इसके अतिरिक्त, इनमें से 46 प्रशिक्षुओं को उद्यमशीलता के उपक्रम शुरू करने, स्थानीय आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और उद्यम विकास में सहायता प्रदान की गई।

आंध्र प्रदेश के वाइजैग जनरल कार्गो बर्थ (वीजीसीबी) में, 80 महिलाओं सहित 90 युवाओं को शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा समर्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मैरीटाइम एंड शिपबिल्डिंग (सीईएमएस) के साथ एक केंद्रित साझेदारी के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है। इस कार्यक्रम में 92 प्रतिशत की उल्लेखनीय प्लेसमेंट दर है, जिसके माध्यम से उम्मीदवारों को अमेज़न, प्लेसमेंट पार्क, व्हील्स इंडिया और श्री सिटी जैसी कंपनियों में नौकरी मिली है। इनमें से 75 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवारों ने सफलतापूर्वक सूक्ष्म उद्यमिता में कदम रखा है और जूट बैग निर्माण और लाख के खिलौने उत्पादन इकाइयों का प्रबंधन कर रहे हैं। वीजीसीबी ने डिजिटल साक्षरता हेतु प्रोजेक्ट शिक्षा भी लांच किया है जो 1,200 छात्रों को डिजिटल साक्षरता प्रदान कर रहा है।

मजबूत संस्थागत साझेदारी, उद्योग से जुड़ा पाठ्यक्रम और सामाजिक प्रभाव पर अटूट ध्यान के साथ, वेदांता एल्युमीनियम बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिशीलता, लैंगिक समावेशन और कार्यबल विकास को आगे बढ़ा रही है, जिससे भारत के युवाओं को तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के अवसरों के लिए तैयार करने में मदद मिल रही है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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