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राष्ट्रपति ट्रंप… नहीं चलेगा संतुलन का खेल, अमेरिका को भारत या पाकिस्तान में से किसी एक को चुनना ही होगा

अमेरिकी सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को आमंत्रित किया है. यह आमंत्रण ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान की दोहरी नीतियों और आतंकवाद के खिलाफ उसकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. विशेष रूप से पाकिस्तान के पूर्व ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी के एक वीडियो में खुलासे ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अमेरिका को धोखा दिया और तालिबान के नेताओं को सुरक्षित ठिकाने दिए. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? क्या वह भारत के खिलाफ किसी संतुलन का खेल कर रहा है? ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने जिस तरह से पाकिस्तान को घाव पहुंचाया है उसको देखते हुए कहा जा रहा है कि  अमेरिका अपने स्वार्थ के लिए उसके घावों पर मरहम लगाने की कोशिश कर रहा है? लेकिन, उसका यह खेल नहीं चलेगा. भारत इसको कभी स्वीकार नहीं करेगा.पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे. उनको जनरल माइकल कुरिल्ला ने अमेरिका का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया है. यह दौरा इसी माह में होने वाला है और इसका मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना बताया गया है. कुरिल्ला ने हाल ही में एक कांग्रेसनल पैनल के सामने गवाही में मुनीर की तारीफ की. खासकर 2021 में काबुल हवाई अड्डे पर हुए आत्मघाती हमले के मास्टरमाइंड मोहम्मद शरीफुल्लाह उर्फ जाफर को अमेरिका को सौंपने के लिए. कुरिल्ला ने कहा कि जनरल मुनीर ने मुझे फोन करके कहा कि मैंने उसे पकड़ लिया है, मैं उसे अमेरिका को सौंपने को तैयार हूं’.लेकिन, मुनीर को अमेरिका से मिले इस आमंत्रण के भारत खुश नहीं है.  पाकिस्तान भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है. वह आतंकवादियों को संरक्षण देता है. बावजूद इसके अमेरिका उसको आमंत्रित कर रहा है.

जनरल दुर्रानी का वीडियो

इस बीच, एक पुराना वीडियो फिर से सुर्खियों में है. इसमें पाकिस्तान के पूर्व ISI प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों पर चौंकाने वाले खुलासे करते हैं. यह वीडियो अल जजीरा चैनल का एक इंटरव्यू बताया जा रहा है. दुर्रानी ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अमेरिका को धोखा दिया और तालिबान नेताओं को सुरक्षित ठिकाने दिए. उन्होंने कहा कि वे हमें अरबों डॉलर की मदद देते थे, और हम उसी पैसे से उनके दुश्मनों, तालिबान को मदद करते थे. यह एक अजीब तरह का युद्ध था.दुर्रानी ने यह भी स्वीकार किया कि  पाकिस्तान की नीति दोमुंही थी, जिसमें वह एक तरफ अमेरिका के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल था, लेकिन दूसरी तरफ तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों को समर्थन देता था. इंटरव्यू लेने वाले पत्रकार ने दुर्रानी से पूछा कि क्या आपको अब पछतावा है? दुर्रानी ने जवाब दिया, “नहीं, यह उस समय की मांग थी, और आज भी हम इसे नहीं बदलेंगे.” इस वीडियो ने एक बार फिर पाकिस्तान की धोखेबाज और दोमुंही नीतियों पर सवाल उठाए 

पाकिस्तान के घाव पर मरहम

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल 2019 में उन्होंने  पाकिस्तान को धोखेबाज देश कहा था और कहा था कि वह अमेरिका की पीठ में छुरा घोंपता है. ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता को भी बंद कर दिया था, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ईमानदार नहीं है. लेकिन अब, जनरल मुनीर के आमंत्रण ने ट्रंप प्रशासन के सामने नई चुनौतियां खड़ी की हैं.

कुछ अमेरिकी सीनेटर्स और कांग्रेस सदस्यों ने इस आमंत्रण पर आपत्ति जताई है. सीनेटर टॉम कॉटन ने कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिका को धोखा दिया है और जनरल मुनीर का स्वागत करना गलत संदेश देगा. वहीं, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप इस आमंत्रण को पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, खासकर अफगानिस्तान और मध्य एशिया में अमेरिकी हितों को देखते हुए.

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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