-दीपक रंजन दास
क्या किसी की हत्या करना शान की बात हो सकती है? हां, हो सकती है यदि वह लोग भारतीय हों और जाति, वर्ण आदि में उनकी अटूट आस्था हो. किसी औऱ जाति में प्रेम संबंध स्थापित करना ऐसे परिवारों में इतना बड़ा गुनाह है कि इसे रोकने के लिए किसी की हत्या तक की जा सकती है. हत्या की इन वारदातों में मां, मामा, चचेरे-ममेरे और सगे भाई तक शामिल हो सकते हैं. ऐसी हत्याओं को देश में शान से ऑनर किलिंग कहा जाता है. अर्थात सम्मान की रक्षा के लिए हत्या करना. ऐसा नहीं है कि ऐसी हत्याएं केवल अनपढ़ और जाहिल करते हैं. खूब पढ़े लिखे भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते पाए जाते हैं. परिवार की प्रतिष्ठा के लिए अपने ही बच्चों का कत्ल करने वाले ऐसे सिरफिरे अपनी बाकी उम्र जेल में काटने के लिए भी तैयार रहते हैं. इन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं होता. एक ऐसी ही घटना मेरठ से सामने आई है. 12वीं कक्षा में अध्ययनरत एक 17 साल की छात्रा की हत्या उसकी अपनी मां गला दबाकर कर देती है. इसमें उसके दोनों छोटे भाई मां की मदद करते हैं. बेटी की हत्या करने के बाद वह पहले अपने पति को खबर करती है. उसका पति सीआरपीएफ में है जो अभी छत्तीसगढ़ में तैनात है. इसके बाद वह अपने भाई को कॉल लगाती है. महिला के मायके से लड़की के मामा, उसके बेटे और मौसी के बेटे लाश को ठिकाने लगाने के लिए पहुंचते हैं. दरिन्दगी यहीं नहीं खत्म होती. मामा जंगल में ले जाकर दरांती से लड़की का सिर धड़ से अलग कर देता है. फिर शव और सिर को अलग-अलग बोरियों में पैक कर अलग-अलग नहरों में फेंक देता है. हत्यारे पहले तो नौटंकी करते हैं पर फिर पुलिस की सख्ती के आगे टूट जाते हैं. ऐसी घटनाओं को दरअसल, समाज का मौन समर्थन प्राप्त है. न जाने, जाति वर्ण औऱ सरनेम में ऐसी कौन सी चाश्नी लगी होती है जिसकी रक्षा करने के लिए लोग इस हद तक नीचे गिर जाते हैं. ऑनर किलिंग की यह कोई पहली घटना नहीं है. चूंकि देश में ऑनर किलिंग को अलग से अपराध नहीं माना जाता इसलिए इसके बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. कथित सम्मान की रक्षा के लिए केवल हत्याएं ही नहीं की जातीं बल्कि मारपीट कर स्वजाति के अधेड़ लोगों से शादी तक करवा दी जाती है. इससे जाति का सम्मान सुरक्षित रहता है. पता नहीं जाति, वर्ण का यह फितूर लोगों के दिमाग में आया कहां से. जिस भगवान श्रीराम की लोग आऱाधना करते हैं स्वयं उनकी पत्नी अपने शैशवावस्था में खेत में मिली थी, अर्थात गोद ली गई थी. वानर श्री हनुमान को वे भ्राता कहते थे. भील जाति की शबरी के जूठे बेर खाए थे. तो क्या श्रीराम की पूजा, आराधना औऱ भक्ति केवल एक छलावा है? उनसे सीखा क्या?
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