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Gustakhi Maaf: बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट

-दीपक रंजन दास
जीवन में हम कई चीजों का उपयोग करते हैं। इसके चलते काफी कचरा भी पैदा करते हैं। कचरा बायोडिग्रेडेबल हो या न हो कचरा ही होता है। बायोडिग्रेडबल कचरे को भी नष्ट होने में वक्त लगता है। यदि आप प्रतिदिन यही सोचकर पेपर कप रास्ते पर फेंकते रहेंगे कि वह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचायेगा तो आप गंदगी के ढेर पर रहने लगेंगे। इसी कचरे का सदुपयोग करने की कोशिशें काफी समय से हो रही हैं। स्कूलों और कालेजों में भी वेस्ट रीयूज और रीसाक्लिंग के बारे में पढ़ाया जाता है। स्वच्छता अभियान के तहत सड़कें साफ हो रही हैं और तालाब गंदे हो रहे हैं। जलकुं भी और पूजा पाठ के सामान के अलावा यहां डिस्पोजेबल गिलास, कटोरी तैरते रहते हैं। हमारे यहां नवाबी कुछ ज्यादा है। हम पुरानी चीजों के इस्तेमाल की सिर्फ नसीहतें देते हैं। खरीदते केवल नया और वो भी ब्रांडेड हैं। ऐसे में मैक्सिकों का एक गांव हमें एक नई राह दिखा सकता है। न्यू मैक्सिकों में रियो ग्रांडे के पास रूट 64 से कुछ मील की दूरी पर यह अनोखा गांव बसा है। इसका नाम अर्थशिप है। 2007 में यहां की सरकार ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट टेस्टिंग साइट एक्ट पास किया। अर्थशिप में घर आधे जमीन के भीतर बने हैं। खासियत यह है कि ये पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल हैं। टाओस के पास स्थित ग्रेटर वल्र्ड अर्थशिप कम्युनिटी में लगभग 130 लोग रहते हैं। 600 एकड़ में फैले इस अर्थशिप में से 300 एकड़ साझा जमीन है। इसके अलावा यहां एक शिक्षण केन्द्र भी है जो वेस्टर्न कोलोराडो यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम करती है। यहां इंटर्नशिप प्रोग्रम और विजिटर सेंटर भी है। यहां लोग सस्टेनेबल लिविंक के बारे में सीख सकते हैं। कम्युनिटी के लोग दूसरों को प्रेरित करते हैं कि कैसे कचरे को दोबारा इस्तेमाल करके पर्यावरण अनुकूल बनाया जा सकता है। अर्थशिप घर सौर ऊर्जा से चलने वाले पैसिव सोलर घर होते हैं। इन घरों के 40 प्रतिशत हिस्से में रिसाइकल्ड सामग्री का इस्तेमाल होता है। मिट्टी और बजरी से भरकर दीवारें बनाई जाती हैं। दीवारों को सीमेंट या एडोब से लेप दिया जाता है। रिसाइकल्ड डिब्बों और कांच की बोतलों से सजाया जाता है। ये घर सौर ऊर्जा और थर्मल मास की वजह से गर्मी और ठंडक पाते हैं। बारिश के पानी को छत पर इकठ्ठा किया जाता है जिसे फिल्टर करके पीने और घरेलू कामों में इस्तेमाल किया जाता है। सिंक, शावर और वॉशिंग मशीन से निकला ग्रे वाटर अंडरग्राउंड बॉटैनिकल सेल में जाता है जहां से इंडोर ग्रीनहाउस के पौधों को पानी मिलता है। ग्रे वाटर टायलेट में भी जाता है। टॉयलेट से निकला ब्लैक वॉटर सेप्टिक टैंक में जाता है जहां इसे ट्रीट करके बाहर के बगीचे में इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह पानी का चार बार उपयोग किया जाता है। यदि भारत जैसा विशाल देश इससे प्रेरणा ले सके तो पूरी दुनिया को फर्क पड़ सकता है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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