-दीपक रंजन दास
छत्तीसगढ़ी गाने में अश्लील बोल को लेकर पुलिस थाने में शिकायत हुई है। छत्तीसगढ़ी फिल्म कलाकारों समेत कुछ स्थानीय नेताओं ने इस संबंध में ऐसे गाना बनाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ी क्रांति सेना ने कहा कि किशन नाम के एक गायक ने अश्लील और भद्दा गाना गया है, जिसमें निजी अंगों का उल्लेख किया गया है। इसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है। इस गाने में कई लोगों ने काम किया है। आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट समेत अन्य धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की गई है। शिकायत करने वालों में प्रसिद्ध कवि मीर अली भी शामिल थे। पुलिस ने जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया है। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक अघोषित युद्ध छिड़ा हुआ है। लोगों को बताया जा रहा है कि यूट्यूब से लोग लाखों रुपए कमा रहे हैं। पर इसके लिए सब्सक्राइबर से लेकर व्यूअर और वॉच टाइम तक की तमाम शर्तें हैं। इस प्लैटफॉर्म पर लाखों चैनल हैं। प्रतिदिन थोक में कंटेंट अपलोड हो रहे हैं। इसके बीच व्यूअर पकड़ पाना तब तक बेहद कठिन है जब तक कि कंटेंट दमदार न हो या फिर एंकर दमदार न हो। अब हर कोई सेलेब्रिटी तो नहीं हो सकता न ही सबके पास अच्छा कंटेंट हो सकता है। ऐसे लोग मनुष्य की आदिम इच्छाओं को कैश करने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी शुरुआत तो बहुत पहले हो चुकी थी। पहले फिल्मों में दर्शक चित्रों को चलता-फिरता देखकर ही खुश होता था। फिर उन्हें बोलता हुआ अभिनेता भाने लगा। फिर रंगीन चलचित्र का जमाना आ गया। भीड़ बढ़ती गई और फार्मूले तलाशे जाने लगे। कपड़े उतरने लगे, चुम्बन के दृश्य आने लगे। फिर जब ओटीटी आया तो सारी वर्जनाएं टूट गईं। अब ब्लू फिल्म और ओटीटी के हॉट मूवीज के बीच बाल बराबर का फर्क रह गया है। देश के थिएटर और सिनेमाघर बंद हो रहे हैं। एकाधिक स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स इनकी जगह ले रहे हैं। इनके हाल छोटे हैं। अलग-अलग दर्शकों के लिए अलग-अलग स्वाद की फिल्में परोसी जा रही हैं। दर्शक इक_ा करने के कुछ सेट फॉर्मूले हैं। भगवान, पौराणिक पात्र, इतिहास, सैन्य कार्रवाई, मारधाड़, कॉमेडी, आयटम डांस और सेक्स। इनमें से सबसे सस्ता है सेक्स को पर्दे पर दिखाना। न हरड़ लगे न फिटकरी और रंग चोखा आए। लोग ऐसे कंटेंट को पूरा देखते हैं। आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के चलते एक बार जिस कंटेंट को आपने पूरा देख लिया, एआई आपको उसी तरह के कंटेंट बार-बार दिखाने लगता है। एआई ने अलग-अलग टाइम स्लॉट भी बांट रखे हैं। रात होते ही लगभग प्रत्येक वर्ग की कोई न कोई महिला आपको इसपर गंदी बात करती मिल जाएगी। श्लीलता और अश्लीलता को तो कब का कफन ओढ़ा दिया गया है। अब तो लिखने के लिए गुम अक्षरों और बोलने के लिए बीप का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। दिक्कत उन्हें है जिन्हें व्यूअर्स नहीं मिल रहे।

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