-दीपक रंजन दास
हम ख्वाबों-ख्यालों में जीने वाले लोग हैं. हमेशा पाजीटिव रहते हैं। हमें पूरा भरोसा है कि बारिश जल्द ही शुरू होने वाली है और फिर नदी, नाले, पोखर सब लबालब हो जाएंगे। समतल छत्तीसगढ़ की जाम नालियों के चलते कुछ शहरों में बाढ़ की स्थिति भी बनेगी। चारों तरफ हरियाली छा जाएगी और सबकुछ अच्छा-अच्छा हो जाएगा। पर अगर बारिश में विलम्ब हुआ या अपेक्षा से कम पानी गिरा तो? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। ऐसी किसी संभावना पर गौर करने की मानसिक स्थिति भी फिलहाल लोगों की नहीं है। सीजी बोर्ड को लोग चाहे कितना कोसें, इसकी मिडिल क्लास की अंग्रेजी की किताब में एक कविता है। कविता में धरती को ब्लू-प्लैनेट के नाम से संबोधित किया गया है। इसमें पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने वाली कुछ पंक्तियां हैं। अंग्रेजी में लिखी गई इस कविता में कहा गया है कि यदि इंसान नहीं सुधरा तो प्रकृति को एक बार फिर उसे सबक सिखाना चाहिए। पृथ्वी पर जीवन को असंभव बनाने वाले इंसानों का नाश करने के बाद प्रकृति एक बार फिर धरती को सजाना शुरू कर सकती है। हम सभी जानते हैं कि एक दिन ऐसा होकर रहेगा पर फिलहाल इसमें वक्त है। तब तक हम दोनों हाथों से प्रकृति का गला घोंट सकते हैं। आज पानी की बात इसलिए कि एक रिपोर्ट आई है जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जलाशयों में पानी की स्थिति को स्पष्ट किया गया है। तुलनात्मक रूप से देखें तो इन जलाशयों में पानी पिछले तीन वर्षों में लगातार कम होता गया है। अब हालत यह है कि बारिश को लगभग एक महीने का वक्त बाकी है और इनमें से कम से 20 जलाशयों में पानी शून्य से लेकर 25 प्रतिशत शेष है। कोरबा के मिनीमाता जलाशय में फिलहाल 27 प्रतिशत पानी है। 2023 में इस तारीख पर 62.8 प्रतिशत पानी था। धमतरी में 2023 के 47.4 के मुकाबले अभी 30 प्रतिशत पानी है। बालोद के तांदुला जलाशय में 2023 में 53.67 प्रतिशत पानी था जो अभी 17.3 प्रतिशत रह गया है। कांकेर के दुधावा में 70.6 के मुकाबले 33.16, गरियाबंद के सिकासेर में 44.6 के मुकाबले 20.13, बिलासपुर के खरंग में 75.84 के मुकाबले 35.99, धमतरी के मुरमसिल्ली में 67.4 के मुकाबले 13.28 प्रतिशत पानी है। फेहरिस्त लंबी है पर वास्तविक स्थिति की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए ये आंकड़े काफी हैं। अभी छत्तीसगढ़ में बहुत सारे पावर प्लांट लगने वाले हैं। अडाणी पावर कोरबा, रायगढ़ और रायपुर में 1600-1600 मेगावाट के 3 थर्मल पावर प्लांट लगाएगा। जिंदल और सरदा एनर्जी रायगढ़ में 1600 और 660 मेगावाट का पावर प्लांट लगाएंगे। इन संयंत्रों का दबाव भी जल स्रोतों पर पडऩे जा रहा है। इधर पानी बचाने का नाम लो तो बात हिन्दू-मुसलमान तक चली जाती है। जंगल हेक्टेयर के हिसाब से कट रहे हैं, रिहायशी इलाकों में 5-5 हजार रुपए फुट में जमीनें बिक रही हैं। पेड़ लगाएं भी तो कहां?

The post Gustakhi Maaf: बारिश अच्छी होगी नहीं तो… appeared first on ShreeKanchanpath.