-दीपक रंजन दास
भारत ने पाकिस्तानी सेना द्वारा तबाही के लिए भेजे गए ड्रोन्स और मिसाइलों को आकाश में ही नष्ट कर दिया. कुछ स्थानों पर लगातार गोलीबारी हो रही है जिसका मुंह तोड़ जवाब दिया जा रहा है. पाकिस्तानी सेना ने खुलकर आतंकवादियों का साथ दिया. उसने भारतीय सामरिक ठिकानों के साथ ही शहरों को निशाना बनाना शुरू किया. भारत पूरे संयम के साथ इसका भी जवाब दे रहा है. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को भारी नुकसान पहुंचाया है. थल सेना किसी भी प्रकार की कार्रवाई के लिए तैयार खड़ी है. भारतीय नौसेना भी एक्टिव मोड में है. भारत का एयर डिफेंस सिस्टम सक्षम है कि वो किसी भी तरह के हवाई हमले का मुकाबला कर सके. इसके लिए कई स्तरों की एयर डिफेंस सिस्टम तैयार की गई है. भारत के पास ऐसे आयुध हैं जिससे वह चुटकियों में पाकिस्तान के किसी भी टारगेट को हिट कर सकता है. पर सेना इसे लेकर कोई डींग नहीं मार रही. वह चुपचाप अपना काम कर रही है. अगर सेना ऐसा कर पा रही है तो इसके पीछे उसकी सालों-साल की मेहनत और तैयारी है. आज वह न केवल हमला करने, बल्कि उड़ती आफत से अपने देश की सुरक्षा करने में भी सक्षम है. देश का प्रत्येक नागरिक सेना का हाथ बंटाने को तैयार है, देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा लिये खड़ा है. पर उसके पास सिवाय संयम धारण करने और निर्देशों का पालन करने के, करने को ज्यादा कुछ नहीं है. ऐसे समय में शंकराचार्य ने सेना के समर्थन का एक तरीका खोज निकाला है. वो सेना की जीत के लिए अनुष्ठान करने जा रहे हैं. जो भी लोग देश के लिए कुछ करना चाहते हैं पर उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा, वो यहां आहुतियां दे सकते हैं. कांग्रेस भी आज तिरंगा रैली निकाल रही है. इसमें भी बड़ी संख्या में लोगों के जुड़ने की खबर है. देखने में ये कदम छोटे और बेतुके से लग सकते हैं पर इसकी अलग भूमिका है. सेना के लिए यह अहसास अनमोल है कि पूरा देश उनके साथ मोर्चे पर है. यही अहसास उसे सरहदों पर दुश्मन से लोहा लेने की शक्ति देता है. पर नागरिकों की जिम्मेदारी यहीं खत्म नहीं हो जाती. उन्हें इससे भी कहीं ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है. सरहद पार के आतंक के लिए पाकिस्तान एक जाना पहचाना चेहरा है. भारत एक जंग उत्तर पूर्वी सरहदों पर भी लड़ रहा है. यहां तानालैंड की मांग को लेकर आतंक मचाने वाले एक समूह की ताजा गिरफ्तारी हुई है. नेशनल लिबरेशन काउंसिल ऑफ तानीलैंड काफी समय से एक अलग देश की स्थापना की मांग को लेकर सशस्त्र आंदोलन कर रहा है. इसी तरह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड भी लंबे समय से अपने लिए अलग देश की मांग कर रहा है. चीन की सेना इन्हें उकसा रही है. इसलिए कोई भी टिप्पणी सोच समझकर करें.

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