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कितने दिनों तक भारत रोकेगा चिनाब और झेलम का पानी, बगलिहार डैम के बंद करने की रणनीति समझिए

श्रीनगर: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध का माहौल गरमाने लगा है। दोनों तरफ की सेनाएं युद्धाभ्यास कर रही हैं। पाकिस्तान के नेता एटम बम फोड़ने की धमकी दे रहे हैं। सिंधु जल समझौता स्थगित करने के बाद भारत ने बगलिहार और सलाल डैम बंद कर दिया है और 48 घंटे में ही पाकिस्तान के हलक सूखने लगे हैं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख़्वाजा आसिफ़ ने एक बयान दिया था कि अगर पाकिस्तान में जाने वाले पानी को रोकने या उसकी दिशा बदलने की कोशिश की गई तो इसे जंग माना जाएगा। फिलहाल पानी रोक दिया है तो मान लेना चाहिए कि जंग की शुरुआत हो चुकी है। सिंधु जल समझौते को स्थगित कर भारत ने पाकिस्तान को चुनौती दी है, साथ ही इस फैसले के जरिये कई संदेश भी दिए हैं।

पानी जमा करने की जगह नहीं

बगलिहार और सलाल डैम होने के बाद 75 साल में पहली बार चिनाब का पानी दो फुट के लेवल पर आ गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस कदम से पाकिस्तान की ओर नदी के पानी का प्रवाह 90 प्रतिशत तक कम हो गया है। इन दोनों डैम पर पावर टारबाइन चलाने के लिए ही पानी छोड़े जा रहे हैं। झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध से पानी रोकने की तैयारी चल रही है। एक्सपर्ट रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी नदियों पर 6 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं, मगर उनमें से किसी के पास पानी जमा करने की जगह नहीं है।

एक फीसदी पानी ही रोक पाएंगे

चिनाब नदी पर बने बगलिहार, दुलहस्ती और सलाल डैम झेलम नदी पर बने किशनगंगा और उरी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, सिंधु पर बने निमू बाजगो और चुटक डैम में ज्यादा पानी स्टोर नहीं हो सकता है। अगर भारत अपने रिजर्वायर में पूरी क्षमता से पानी संग्रह करेगा, इसके बाद भी कुल 3.6 एमएएफ सप्लाई रोक पाएगा। इन नदियों पर बन रहे छह अन्य प्रोजेक्ट को पूरा करने में अभी दो-तीन साल का वक्त लग लगता है। मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारत हर साल सिंधु, चिनाब और झेलम का एक फीसदी पानी ही रोक पाएगा। फिर इंडिया की ओर से डैम के दरवाजे क्यों बंद किए गए?

गाद की सफाई या तौल रहे नफा-नुकसान

फिलहाल एक फैक्ट यह है कि बगलिहार डैम के अधिकारियों ने इसे रूटीन ड्रिल बताया है। अधिकारियों ने बताया कि बगलिहार हाइडल पावर प्रोजेक्ट के फाटकों को रिज़र्वायर से गाद निकालने के लिए बंद किया गया है। अब इसे पानी से भरा जाएगा। शनिवार को सफाई की प्रक्रिया शुरू हुई है और इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है।

इस सफाई में सवाल टाइमिंग का है। अमूमन अगस्त महीने के लिए गाद निकालने और रिज़र्वायर को भरा जाता है। पहलगाम हमले के बाद मई में चल रहे इस ऑपरेशन को पाकिस्तान के खिलाफ वॉटर स्ट्राइक मानी जा रही है। पाकिस्तान भी घबराया हुआ है क्योंकि इस नए हथियार का इस्तेमाल पानी रोकने और ज्यादा छोड़ने के तरीके से किया जा सकता है। इससे पाकिस्तान को सूखे और बाढ़ जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ेगा। पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती सिंधु के पानी से होती है।

समझौते को रोकने का फायदा समझिए

एक्सपर्ट मानते हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ वॉटर स्ट्राइक कर भारत ने औपचारिक जंग से पहले खुद को जांच-परख रहा है। पानी बंद कर भारत ने सीधे-सीधे पाकिस्तान को चुनौती दे दी है, साथ ही अपनी पानी रोकने की क्षमता का आकलन भी किया है। इस एक्शन के बाद अंदाजा हो जाएगा कि पाकिस्तान को एक बूंद पानी नहीं देने के लिए कहां और कितने बांध या रिजर्वायर बनाना जरूरी है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान की ओर बहने वाली चार नदियों पर काम भी शुरू कर दिया है।

बांध और रिजर्वायर बनाने का रास्ता साफ

माना जा रहा है कि बगलिहार और सलाल डैम बंद कर भारत ने दुनिया के देशों को मैसेज दे दिया है कि अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक फैसला किया जाएगा। सिंधु जल समझौते के कारण भारत अब तक झेलम, चिनाब और सिंधु नदी के 20 फीसदी पानी का इस्तेमाल भी नहीं कर पा रहा है। सरकार के इस फैसले के बाद रिजर्वायर और बांध बनाने का रास्ता साफ हो गया है। अगर भारत चाहे तो अगले 5 से 8 साल में बांध और रिजर्वायर बनाकर पाकिस्तान को पानी के लिए ज्यादा तरसा सकता है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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