पश्चिम चम्पारण. टमाटर की खेती करने वाले किसानों को कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए. बुआई के लिए मिट्टी और उत्तम प्रजातियों का चुनाव हो या फिर बुआई के बाद उनकी देख-रेख हो सभी बहुत ध्यान देने वाले काम हैं. तभी अच्छी पैदावार होगी. इस बारे में पश्चिम चम्पारण के कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी जानकारी साझा की है जिसका पालन कर आप टमाटर और शिमला मिर्च की खेती में माहिर हो सकते हैं. वर्तमान में टमाटर की खेती का मौसम है. किसान खेतों को तैयार करने में जुट चुके हैं. इससे पहले कि समय निकल जाए चलिए हम आपसे टमाटर की खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी साझा करते हैं.
इन बातों का रखें ध्यानमाधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह बताते हैं कि टमाटर की खेती अलग-अलग तरह की मिट्टी पर की जा सकती है. रेतीली दोमट मिट्टी हो या चिकनी मिट्टी, लाल मिट्टी हो या काली मिट्टी. इन सभी तरह की मिट्टी पर टमाटर की खेती की जा सकती है. बस ध्यान रहे कि खेत में पानी निकासी की उचित व्यवस्था हो. पश्चिम चम्पारण सहित बिहार में टमाटर की खेती के लिए कुछ खास नस्लों का चयन जरूरी है. इनमें काशी विशेष, काशी अमृत, काशी अभिमानी, आर्का विशेष और आर्का रक्षक शामिल हैं.
काशी विशेष 70 दिनों में होगा तैयारटमाटर की काशी विशेष प्रजाति किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है. यह लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है. यह पूरी तरफ से लाल, गोलाकार, मध्यम आकार वाली होती है. इनका वजन करीब 80 ग्राम तक होता है. यह किस्म 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 400 से 450 क्विंटल उत्पादन मिलता है.
पॉलीहाउस में बिन मौसम करें खेती पॉलीहाउस में किसान बिन मौसम भी सब्जियों की खेती कर सकते हैं. ज्यादातर किसानों को लगता है कि पॉलीहाउस को बनवाने में अधिक लागत आती है लेकिन ऐसा नहीं है. किसान बांस के फ्रेम पर भी पॉलीहाउस का निर्माण करवा सकते हैं. लोहे के फ्रेम पर पॉलीहाउस के निर्माण में लागत अधिक आती है, लेकिन बांस के पॉलीहाउस में खर्च बेहद कम आता है. जहां तक बात काम की है तो दोनों पॉलीहाउस समान रूप में कारगर होते हैं. सरकार भी इसके निर्माण के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान देती है.