पहलगाम और कश्मीर घाटी आतंक और 26 निर्दोषों के खून से सनी हुई है. घटना से गुस्साए लोग सोशल मीडिया पर धर्म और आतंक का एक नाम बात रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ आदिल हुसैन शाह जैसा नाम है, जिसने धर्म के नाम पर आतंकवाद फैला रहे आतंकियों के मुंह पर एक तमाचा मारा है.कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) से आतंक का अब तक का सबसे घिनौना चेहरा पूरी दुनिया ने मंगलवार को देखा. जिस जगह के लिए एक शहंशाह ने कहा था, ‘दुनिया में कहीं स्वर्ग है, तो यहीं है यहीं है यहीं है… ‘ आज वही घाटी आतंक और 26 निर्दोषों के खून से सनी हुई है. एक तरफ इस हमले ने ‘धर्म पूछकर मारने की घिनौनी’ घटना के बाद धार्मिंक वैमनस्य को जन्म दिया है. सोशल मीडिया पर जोर-जोर से आवाजें उठ रही हैं कि ‘आतंकवाद का धर्म होता है…’ वहीं दूसरी तरफ आदिल हुसैन शाह जैसा नाम है, जिसने धर्म के नाम पर आतंकवाद फैला रहे आतंकियों के मुंह पर एक तमाचा मारा है. पहलगाम में खच्चर चलाने वाला ये लड़का आतंकियों से टूरिस्टों को बचाने की कोशिश में मारा गया है.हपतनार (अनंतनाग) की वादियों में, जहां आमतौर पर टूरिस्टों की रौनक और खच्चरों की टापों की आवाजें गूंजा करती हैं, अब सन्नाटा पसरा हुआ है. क्योंकि इस गांव का एक बेटा सैयद अदिल हुसैन शाह अब इस दुनिया में नहीं रहा. लेकिन उसकी बहादुरी की गूंज, कश्मीर की घाटियों से निकलकर पूरे देश में फैल रही है. आदिल, एक इस इलाके में खच्चर चलाता था और उसे पूरे दिन में इस काम के 300 रुपए मिलते थे. अपने घर का सबसे बड़ा बेटा आदिल मंगलवार को भी रोज की तरह टूरिस्टों को खच्चर पर लेकर गया था. सामने आ रही जानकारी के अनुसार जब आतंकी हमला हुआ तब आदिल ने भागने के बजाए एक आतंकी से राइफल छीनने की कोशिश की. उसकी यही हिम्मत उसकी मौत का कारण बन गई.मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला खुद अदिल के जनाजे में पहुंचे और उसकी बहादुरी को सलाम किया. उन्होंने कहा, ‘हमें इस परिवार की देखभाल करनी होगी.’ आदिल अपनी दो बहनों की शादी के लिए पैसे जोड़ रहा था. उसके पिता, सैयद हैदर हुसैन शाह, और मां बीबी जान अपने आंसू पोंछते हुए अपने बेटे के लिए इंसाफ की गुहार लगाई है. गांव का हर शख्स अदिल की शहादत से गमगीन है, लेकिन गर्व भी उतना ही है. उसके चचेरे भाई मोहम्मद हुसैन कहते हैं, “हमारा भाई गया, लेकिन पीछे ऐसा नाम छोड़ गया, जो कश्मीरियत की सच्ची तस्वीर है.”वहीं आदिल के चचेरे भाई मोहम्मद हुसैन ने कहा, ‘किसने सोचा था वो कभी वापिस नहीं आएगा. हमारे टूरिस्ट भाइयों की पत्नियां विधवा होकर अपने घर लौट रही हैं, कुछ तो हनीमून के लिए यहां आए थे, कश्मीर पर लगा ये ऐसा धब्बा है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता.’
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