देश दुनिया

Kesari 2: कौन थे सी. शंकरन नायर, अक्षय बने हैं वो वकील जिन्‍होंने अंग्रेजी हुकूमत को कोर्ट में किया था शर्मसार

अक्षय कुमार की की फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ का टीजर रिलीज हो गया है और एक्टर को खूब तारीफें मिल रही हैं। 2019 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘केसरी’ ऐतिहासिक सारागढ़ी की लड़ाई से प्रेरित थी, जबकि नया पार्ट ‘केसरी चैप्टर 2’, 1919 के क्रूर जलियांवाला बाग हत्याकांड और उसके बाद की घटनाओं को दिखाता है। ‘केसरी चैप्टर 2’ को पुष्पा पलात और रघु पलात की लिखी किताब ‘द केस दैट शुक द एम्पायर’ से लिया गया है और इसमें आर माधवन और अनन्या पांडे भी हैं।मशहूर वकील सर चेत्तूर शंकरन नायर के रोल में हैं, जिन्होंने न केवल हत्याओं के खिलाफ आवाज उठाई बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य को भी हिलाकर रख दिया। उन्होंने न केवल वायसराय की कार्यकारी परिषद में अपना पद त्याग दिया बल्कि ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ आवाज भी उठाई। आइए जानते हैं कि तेजतर्रार वकील सर सीएस नायर कौन थे जिनका किरदार अक्षय निभा रहे हैं।

कौन थे सीएस नायर?

साल 1857 में केरल के मनकारा गांव में एक कुलीन परिवार में जन्मे नायर ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृहनगर के एक अंग्रेजी स्कूल में की। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। 1870 के दशक में, नायर ने मद्रास लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की और मद्रास हाईकोर्ट में अपना करियर शुरू किया।

सीएस नायर की वकालत देश के लिए

साल 1887 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 1907 में वे मद्रास सरकार के महाधिवक्ता नियुक्त होने वाले पहले भारतीय बने और बाद में उसी न्यायालय में न्यायाधीश बने। जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय सीएस नायर शिक्षा मंत्री और वायसराय की कार्यकारी परिषद में एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि थे, जो किसी भी भारतीय के लिए बहुत बड़ा सम्मान था। जब यह हत्याकांड हुआ, तो पंजाब में प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई थी। अंग्रेजों ने घटनाओं के बारे में कई तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।

सीएस नायर ने लेटर में लिखा- देश रहने के लायक नहीं

लेकिन जब यह खबर सीएस नायर तक पहुंची तो वे बहुत परेशान हो गए। इससे नाराज सीएस नायर ने विरोध करते हुए कार्यकारी परिषद से इस्तीफा देने का फैसला किया। अपने लेटर में उन्होंने लिखा, ‘अगर किसी देश पर शासन करना है तो यह जरूरी है कि निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया जाए…और कोई भी नागरिक अधिकारी किसी भी समय सेना को बुला सकता है और दोनों मिलकर जलियांवाला बाग की तरह लोगों का कत्लेआम कर सकते हैं, तो यह देश रहने लायक नहीं है।’

सीएस नायर ने दे दिया इस्तीफा

सीएस नायर के इस्तीफे से ब्रिटिशों को झटका लगा, जिसके कारण पंजाब में मार्शल लॉ हटा दिया गया। 1922 में सीएस नायर ने ‘गांधी एंड एनार्की’ नामक एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने माइकल ओ’डायर पर नरसंहार के दौरान अत्याचारों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। माइकल ओ’डायर पंजाब सरकार के लेफ्टिनेंट थे और उस समय तक वे बर्खास्त होकर इंग्लैंड लौट चुके थे।

मामला 5 हफ्ते चला

नायर के आरोप के कारण माइकल ओ डायर ने उन पर मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसकी सुनवाई लंदन के उच्च न्यायालय में हुई। मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश खुद भारतीयता के खिलाफ थे। यह मामला पांच हफ्ते तक चला और अदालत के इतिहास में सबसे लंबा था। चूंकि मामले में सर्वसम्मति से कोई फैसला नहीं हुआ था, इसलिए नायर को दो ऑप्शन दिए गए: ओ’डायर से माफ़ी मांगें या 7,500 पाउंड दें, और उन्होंने दूसरा विकल्प चुना। फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ इसी मामले पर आधारित है।

नायर के पक्ष में नहीं था केस

हालांकि यह मामला सीएस नायर के पक्ष में नहीं था लेकिन हत्याकांड को दिखाने की उनकी कोशिशों का असर देखने को मिला। प्रेस सेंसरशिप और मार्शल लॉ के खात्मे से लेकर जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच तक, तेजतर्रार वकील सीएस नायर की लड़ाई ने उन्हें बड़ी शख्सियत बना दिया।

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button