चुनाव आयोग ने मंगलवार को फ़ैसला किया है कि वोटर कार्ड को आधार के ज़रिए लिंक किया जाएगा.
इस संबंध में आयोग जल्दी ही इसके तकनीकी पहलू पर काम करने की शुरुआत करने जा रहा है.
इस कवायद में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी ने के सीईओ और केंद्रीय गृह सचिव के साथ बैठक की है.
इस बैठक में ये सहमति बनी है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किए बिना वोटर कार्ड के एपिक नंबर (ईपीआईसी) को आधार से कनेक्ट किया जाएगा.
आधार कार्ड व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है.
आयोग ने कहा, ”इसलिए यह निर्णय लिया गया कि ईपीआईसी को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 (4), 23 (5) और 23 (6) के प्रावधानों के अनुसार तथा डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 177/2023 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप ही किया जाएगा.”
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है.
पार्टी ने कहा है कि चुनाव आयोग को इस बात का ख़याल रखना है कि इस प्रक्रिया में कहीं कोई मतदाता छूट नहीं जाए. इसलिए, सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करना चाहिए.
भारत में साल 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक़, तक़रीबन 97 करोड़ 97 लाख मतदाता हैं. वहीं, साल 2019 के चुनाव में तक़रीबन 91 करोड़ 20 लाख मतदाता थे.
साल 2024 के चुनाव में 64 करोड़ 64 लाख लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया था. वहीं, साल 2019 के चुनाव में ये आंकड़ा 61.4 करोड़ था.
यूआईडीएआई के मुताबिक़, सितंबर 2023 तक भारत में 138 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड था.
इसमें दो तरह से आधार को वोटर कार्ड से लिंक किया जा सकता है.
नेशनल वोटर सर्विस पोर्टल के ज़रिए, अपना अकाउंट बनाकर ये प्रक्रिया स्वयं पूरी की जा सकती है.
पोर्टल में लॉगिन के बाद अपना नाम, ईमेल आईडी और आधार नंबर डालकर ओटीपी के ज़रिए सत्यापित करना है.
अगर मोबाइल आधार से लिंक नहीं है, तो आधार की कॉपी अपलोड कर सकते हैं.
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. क़ुरैशी ने बीबीसी हिंदी से कहा, ”चुनाव आयोग ये कोई नई बात नहीं कर रहा है. साल 2010 में जब मैं सीईसी था, तब इसको आगे बढ़ाया गया था.”
”तब यूआईडीएआई के सीईओ नंदन नीलेकणी के साथ कई दौर की बैठक भी हुई थी. गोवा में बायोमेट्रिक के ज़रिए प्रयोग भी किया गया था.”
उन्होंने कहा, ”बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. जब कोर्ट ने रोक हटाई, तो दूसरे सीईसी का कार्यकाल था. तब एक करोड़ से ज़्यादा लोगों का लिंक हो गया था, लेकिन फिर कोर्ट ने रोक लगा दी थी.”
कुरैशी कहते हैं कि जो लोग खुद से लिंक नहीं कर सकते हैं, तो चुनाव आयोग का बीएलओ घर-घर जाकर ये काम कर सकता है.
उन्होंने कहा, ”आधार से लिंक होने पर बोगस वोट ख़त्म हो सकता है. ऐसा नहीं हो पाएगा कि एक ही व्यक्ति का नाम कई जगह मतदाता सूची में दर्ज हो.”
निर्वाचन आयोग के पास अभी 66 करोड़ लोगों के आधार का डाटा मौजूद है, जिन्होंने स्वेच्छा से डाटा दिया है. हालांकि, इनको अभी लिंक नहीं किया गया है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पद संभालने के बाद चुनाव सुधार पर फोकस किया है.
चुनाव आयोग ने चुनाव सुधार के लिए सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल, 2025 तक सुझाव मांगे हैं.
इसके अतिरिक्त आयोग निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, ज़िला निर्वाचन अधिकारियों और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठकों का आयोजन कर रहा है.
इन बैठकों में राजनीतिक दलों की चिंताओं और सुझावों पर विचार किया जाएगा, ताकि चुनाव प्रक्रिया में विश्वास और पारदर्शिता बनी रहे.