शिक्षकों के लिए राहतभरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की स्पेशल लीव पेटीशन (एसएलपी) को खारिज कर दिया है, जिससे शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में हुई, जिसमें न्यायाधीश ए.एस. ओका और न्यायाधीश एन. कोटीश्वर सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी।
इस विवाद की जड़ 2013 में शुरू हुई थी, जब शिक्षकों के लंबे समय तक प्रमोशन न मिलने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 10 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने की घोषणा की थी। हालांकि, बाद में सरकार ने इस आदेश को रद्द कर दिया और समतुल्य वेतनमान देने का फैसला किया।
इसके बावजूद, शिक्षिका सोना साहू ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर क्रमोन्नति वेतनमान की मांग की। कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे अन्य शिक्षक भी प्रेरित हुए और बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की गईं।सरकार को आशंका थी कि यदि 50 हजार शिक्षकों को यह लाभ दिया गया, तो सरकारी खजाने पर बड़ा वित्तीय भार पड़ेगा। इसलिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर इस फैसले को चुनौती दी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है।राज्य सरकार की याचिका खारिज होने के बाद शिक्षकों को अब क्रमोन्नत वेतनमान का लाभ मिलना तय हो गया है। इस फैसले से शिक्षकों में खुशी की लहर है।राज्य सरकार की याचिका खारिज होने के बाद शिक्षकों को अब क्रमोन्नत वेतनमान का लाभ मिलना तय हो गया है। इस फैसले से शिक्षकों में खुशी की लहर है।