गन्ने की फसल को तैयार होने में साल भर का समय लगता है. गन्ने की खेती में मोटी लागत लगानी होती है लेकिन अगर किसान वैज्ञानिक विधि से गन्ने की खेती करते हैं तो वह गन्ने में आने वाली लागत का एक बड़ा हिस्सा सहफसली खेती से निकाल सकते हैं.अगर किसान ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करते हैं तो साथ में सहफसली में कई फसलें लगा सकते हैं. अगर किसान बसंत कालीन गन्ने की बुवाई ट्रेंच विधि कर रहे हैं तो दो लाइनों के बीच बचने वाली जगह में किसान सहफसली के तौर पर खीरा की फसल लगा सकते हैं. गौरतलब है कि इस तकनीक से गन्ने की खेती में गन्ने की 2 लाइनों के बीच 4 ससे 5 फीट की जगह बचती है.जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक ने बताया कि खीरा की फसल लगाने से किसानों को गन्ने की फसल के अलावा अतिरिक्त आमदनी मिल जाएगी. गन्ने की फसल को तैयार करने के लिए किसानों को अपनी जेब से खर्च नहीं लगाना होगा बल्कि सहफसली फसल यानि खीरा को बेचकर किसानों को मुनाफा भी होगा और गन्ने की फसल को फ्री में तैयार कर सकते हैं.खीरा की फसल से भी किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानों को उन्नत किस्मों का चयन करना होगा. अच्छी किस्म के बीज लगाने से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा और लागत कम आएगी.अगर मार्च के महीने में किसान खीरा की किस्म पीसीयूसी एच 3 लगा सकते हैं. यह किस्म अपनी उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है. खीरा की यह किस्म गर्म और आर्द्र जलवायु के लिए बेस्ट है. इसके फल गहरे हरे रंग के, चिकने और बेलनाकार होते हैं. यह किस्म 50 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और किसान इस किस्म से 250 से 270 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन ले सकते हैं.
डीसीएच 3 खीरा एक हाइब्रिड खीरा है, जो अपनी बेहतर उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है. इस किस्म को गर्म और आर्द्र जलवायु में उगाकर किसान मोटा मुनाफा ले सकते हैं. यह किस्म किसानों को 260 से 270 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती है और पहले तुड़ाई 50 से 55 दिनों में ले सकते हैं.गन्ने की फसल में अगर वैज्ञानिक विधि से सहफसली फसल के तौर पर खीरा की खेती की जाए तो उत्पादन और ज्यादा होगा. किसान खीरा की फसल को जाल बनाकर लगा सकते हैं. ऐसा करने से खीरा की फसल में लागत कम आएगी और उच्च गुणवत्ता की उपज मिलेगी.