Blog

सोशल मीडिया पर गौतम अदाणी ने बताया जीवन में महिलाओं का योगदान

एक दशक पहले, जब मैं अपनी पहली पोती की नाजुक उंगलियों को सहला रहा था, तब मैंने एक ऐसी दुनिया बनाने मौन प्रतिज्ञा की थी, जहां उसकी आकांक्षाओं की कोई सीमा न हो। मेरी तीन खूबसूरत पोतियों है और में चाहता हूं कि उनकी आवाज को किसी भी पुरुष की तरह ही सम्मान मिले और उनका मूल्य केवल उनके चरित्र और योगदान से समझा जाए।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ़ कैलेंडर पर एक तारीख़ नहीं है, यह हमारे द्वारा की गई प्रगति की याद दिलाता है। मेरे लिए, यह मिशन कई मायनों में व्यक्तिगत है – एक युवा के रूप में मेरा अपनी माँ से प्रेरित होना, एक बिजनेस लीडर के रूप में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को देखना, एक पति के रूप में अपनी पत्नी प्रीति के अदाणी फाउंडेशन के प्रति अटूट समर्पण से प्रेरित होना और एक दादा के रूप में उन लड़कियों के लिए बिना किसी सीमा के दुनिया का सपना देखना, जो मुझे प्यार से “दादू” कहती हैं। ये संदेश मेरी पोतियों के लिए, जो एक दिन यह पढ़ सकती हैं, “आपको जो दुनिया विरासत में मिलेगी, वह ऐसी होनी चाहिए जहाँ आपकी प्रतिभा का स्वागत खुले दरवाज़ों से हो, न कि कांच की छतों से। जहाँ आपकी महत्वाकांक्षाओं पर कभी सवाल न उठाया जाए, केवल प्रोत्साहित किया जाए। जहाँ आपकी आवाज़ न केवल सुनी जाए, बल्कि उसे खोजा जाए। मैं आगे बढ़ते रहने, बाधाओं को तोड़ते रहने की कसम खाता हूँ, जब तक कि वह दुनिया सिर्फ़ एक कल्पना न हो जाए बल्कि एक वास्तविकता बन जाए। क्योंकि तुम और तुम्हारी तरह की हर लड़की, हर कमरे में यह जानते हुए चलने की हकदार है कि तुम वहाँ की हो।”

office boy girl

दुनिया को आकार देती हैं महिलाएँ
लैंगिक समानता के बारे में मेरी समझ बोर्डरूम या नीतिगत बहसों में नहीं बनी बल्कि इसे मैंने अपने घर पर ही विकसित किया गया, जहाँ मैं उन महिलाओं से घिरा रहता हूं जिनकी ताकत और बुद्धिमत्ता ने मेरे नजरिए को प्रभावित किया है। बनासकांठा के रेगिस्तानी इलाकों में पली-बढ़ी, मैंने अपनी माँ को अभाव को जीविका में और कठिनाई को सामंजस्य में बदलते देखा। वह एक ऐसी शक्ति थी जो खामोश रहती थी, जिसने हमारे बड़े संयुक्त परिवार को एक साथ रखा, जिसमें अथक प्रयास, अडिग प्रेम, साहस समाहित था। मैंने उनमें शांत नेतृत्व, निस्वार्थता और सुंदर दृढ़ता का सार देखा। बाद के जीवन में, मेरी पत्नी प्रीति, हमारे अदाणी फाउंडेशन के लिए एक प्रेरक शक्ति बन गईं, जिन्होंने पूरे भारत में लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। उन्हें हमारे देश के दूरदराज के गांवों में ग्रामीण महिलाओं के साथ जुड़ते हुए देखना, उनके परिवारों के भविष्य के लिए परिवर्तनकारी मुद्दों पर बात करना, अदाणी फाउंडेशन की बहुत सारी संगिनी से सीखना, जो गर्भवती महिलाओं को सिखाती हैं कि वे अपना और अपने होने वाले बच्चे का कैसे ख्याल रखें, इन सभी ने मुझे सशक्तिकरण को समझने में मदद की है।
गुजरात के मुंद्रा में, युवा लड़कियों से मिलना प्रेरणादायक है, जो हमारे शिक्षा पहल के माध्यम से अब इंजीनियर बनने का सपना देख रही हैं या झारखंड के गोड्डा में महिला उद्यमियों के दृढ़ संकल्प को देखना, जो दिहाड़ी मजदूर से सफल व्यवसायी बन गई हैं। साथ ही, मेरी अपनी पोतियाँ, जो अपने से पहले की पीढ़ियों द्वारा झेले गए संघर्षों से अनजान हैं, उस असीम क्षमता का प्रतीक हैं जिसे हम विकसित करने का प्रयास करते हैं।

व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के माध्यम से बाधाओं को तोड़ना जरुरी
कई साल पहले, हमारे पोर्ट प्रोजेक्ट में मैंने ऑपरेशन्स और नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की अनुपस्थिति देखी। यह क्षमता उनकी की कमी के कारण नहीं था, बल्कि पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में उनके लिए उचित मार्ग की अनुपस्थिति से था। इस अहसास ने मेरे भीतर बदलाव के लिए एक व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को जन्म दिया। मैंने हमारी बैठकों में अलग-अलग सवाल पूछना शुरू किया, “क्या हमारी नीतियाँ वास्तव में परिवार के अनुकूल हैं?” “हम भविष्य के नेतृत्व के लिए किसे सलाह दे रहे हैं?” और इसका असर भी हुआ।
आज मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं है, जब अपने दफ़्तरों में घूमता हूँ और महिलाओं को हमारी टेक्नोलॉजी टीमों का नेतृत्व करते हुए देखता हूँ, रिन्यूएबल एनर्जी की साइटों पर जाता हूँ और महिला इंजीनियरों को कठिन चुनौतियों का समाधान करते हुए देखता हूँ और जब मैं अदाणी फाउंडेशन कार्यक्रमों में हिस्सा लेता हूँ और ग्रामीण महिलाएँ फलते-फूलते व्यवसाय बना रही हैं तो मैं बहुत गर्व से भर जाता हूँ. यही कारण है कि आज, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, मेरी प्रतिबद्धता और भी गहरी हो गई है, न केवल एक बिजनेस लीडर के रूप में, बल्कि एक दादा के रूप में भी। एक दादा जो एक ऐसी दुनिया का सपना देखता है जहाँ मेरी पोतियों को कभी भी अपनी जगह के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि वह पहले से ही उनकी होगी।

अदाणी फाउंडेशन महिला सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध
अदाणी फाउंडेशन महिला सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है। हाल ही में, हमने ‘बटरफ्लाई इफ़ेक्ट’ फ्रेमवर्क, महिलाओं की जीवन की बदलती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया। शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थायी आजीविका और बुनियादी ढाँचे पर ज़ोर देकर, हमारा लक्ष्य महिलाओं को सार्थक विकल्प देना है। अदाणी फाउंडेशन ने करोड़ों लड़कियों और महिलाओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, जो स्थायी सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए हमारे समर्पण की पुष्टि करता है।
इसके अलावा, हमारी ‘लखपति दीदी’ पहल ने 1,000 से अधिक महिलाओं के जीवन को बदला है। उन्होंने उद्यमशीलता कौशल के माध्यम से फाइनेंशियल फ्रीडम हासिल की है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करके, हम एक मजबूत औरसमावेशी समाज बनाने में योगदान देते हैं जहाँ महिलाओं के योगदान को महत्व दिया जाता है और मान्यता दी जाती है।

कल के लिए ये मेरा वादा है कि पढ़ने वाली हर महिला, खास तौर पर जो खुद को अनदेखा, कमतर आंकी गई या चुप रहने का अनुभव करती हैं साथ ही वो जानती हैं कि उनकी यात्रा मायने रखती है। आपका नेतृत्व सिर्फ़ स्वागत योग्य नहीं है बल्कियह ज़रूरी भी है। प्रभावशाली पद पर बैठे हर पुरुष से, चाहे वह घर, टीम या संगठन का नेतृत्व कर रहा हो, मैं आग्रह करता हूँ कि लैंगिक समानता को महिलाओं के मुद्दे के रूप में न देखें, बल्कि एक मानवीय अनिवार्यता के रूप में देखें।

आइए हम सब मिलकर #AccelerateAction का संकल्प लें, जिसे 2025 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिए सही थीम के रूप में चुना गया है, न कि इसलिए कि यह सही कॉर्पोरेट रणनीति है या कोई लोकप्रिय सामाजिक कारण है, बल्कि इसलिए कि पत्नियाँ, बेटियाँ और पोतियाँ केवल अपने सपनों के दायरे तक ही सीमित भविष्य की हकदार हैं। एक ऐसा भारत जो वास्तव में अपनी सभी बेटियों को गले लगाता है।

The post सोशल मीडिया पर गौतम अदाणी ने बताया जीवन में महिलाओं का योगदान appeared first on ShreeKanchanpath.

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button