आयुर्वेद में पेड़ पौधों का बड़ा महत्व होता है, कई पेड़ पौधे औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. एक ऐसी ही एक औषधि है भटकटैया का पौधा, जो हमारी सेहत के साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहद ही फायदेमंद है. क्योंकि इसमें बहुत सारे पोषक तत्त्व मौजूद होते हैं, जिसके इस्तेमाल से शरीर के कई रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है.आयुर्वेद में कई ऐसी वनस्पतियां हैं, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती हैं. इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पौधा है भटकटैया. यह एक कांटेदार पौधा है, जिसका पंचांग यानी पांचों अंग (जड़, तना, पत्ती, फूल और फल) औषधीय गुणों से भरपूर हैं. भटकटैया का पौधा भले ही कांटों से भरा हो, लेकिन इसके हर हिस्से का उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में किया जाता है. इस पौधे के फल, फूल और तने में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैंजिला अस्पताल बाराबंकी के चिकित्सक डॉक्टर अमित वर्मा (एमडी मेडिसिन )ने लोकल 18 से बातचीत में बताया भटकटैया एक औषधीय पौधा है. इसे कटेहरी कंटकारी और भी कई नाम से जाना जाता है. इसके फल, फूल, तना हमारी सेहत व स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है. इसमें में बहुत सारे औषधीय गुण मौजूद होते हैं. इसमें सोले, कार्पिडिन, एल्केलाइड, पोटैशियम नाइट्रेट और पोटैशियम क्लोराइड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमें कई बीमारियों से बचाते हैं.पाइल्स में फायदेमंद: ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने से पाइल्स की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे में बवासीर का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद होता है. भटकटैया के फलों को कोशातकी के काढ़े में पकाकर प्रयोग करने से अर्श या पाइल्स में लाभ होता है.बुखार की समस्या में फायदेमंद: भटकटैया की जड़ और गिलोय को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें. 10-20 मिली काढ़ा को सुबह शाम पिलाने से बुखार तथा पूरे शरीर का दर्द कम होता है.पेट दर्द में फायदेमंद: अक्सर पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है. भटकटैया के फलों के बीज निकालकर उनको छाछ में डालें तथा उबालकर सुखा दें. फिर उनको रातभर मट्ठे में डुबोएं तथा दिन में सुखा लें. ऐसा 4-5 दिन तक करके उनको घी में तलकर खाने से पेट दर्द तथा पित्त संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है.दांत दर्द में फायदेमंद: अगर दांत बहुत दुखता हो तो भटकटैया की बीजों का धुआं देने से तुरंत आराम मिलता है. भटकटैया की जड़, छाल, पत्ते और फल लेकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से भी दांतों का दर्द दूर होता है.खांसी में फायदेमंद: मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान हैं. वहां पर आधा से 1 ग्राम भटकटैया के फूल के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चाटने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है. इसके अलावा 15-20 मिली पत्ते का रस या 20-30 मिली जड़ के काढ़े में 1 ग्राम छोटी पीपल चूर्ण एवं 250 मिग्रा सेंधानमक मिलाकर देने से खांसी में आराम मिलता है.अस्थमा में फायदेमंद: जब छाती में कफ भरा हुआ हो तब इसका 20-30 मिली काढ़ा देने से बहुत लाभ होता है. इसके फलों के 20-30 मिली काढ़े में 500 मिग्रा भुनी हुई हींग और 1 ग्राम सेंधा नमक डालकर पीने से अस्थमा में भी लाभ होता है. साथ ही भटकटैया के पंचांग को कूटकर आठ गुना पानी मिलाकर गाढ़ा होने तक पकाएं. गाढ़ा होने पर कांच की शीशी में रखें. इसमें 1 ग्राम मधु मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आराम मिलता है.
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