बाराबंकी. सब्जियों की खेती हमेशा से फायदेमंद रही है. इन्हें एक बार लगाने के बाद कई महीनों तक कमाई होती है. इनका उत्पादन भी आमतौर पर अधिक होता है और इनकी मांग भी हमेशा रहती है. और बात जब टमाटर की हो, तो कहने ही क्या हैं. साल के 12 महीने डिमांड में रहने वाला टमाटर उगाने के कई फायदे हैं. इसकी खेती अच्छे जल निकास वाली किसी भी भूमि में की जा सकती है. बाराबंकी के किसान श्याम सिंह भी टमाटर की खेती में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.श्याम को इससे अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. टमाटर उगाते हुए उन्हें कई साल हो गए. इस एक फसल से वे अब तक लाखों रुपये कमा चुके हैं. बाराबंकी जिले के पाटमऊ गांव के रहने वाले किसान श्याम सिंह ने पारंपरिक खेती छोड़कर टमाटर की खेती पकड़ी है. आज वे करीब आधे एकड़ में टमाटर उगा रहे हैं. इससे उन्हें एक फसल पर एक से डेढ़ लाख रुपये मुनाफा हो रहा है.पांच साल पहले हम धान-गेहूं की खेती करते थे लेकिन उसमें इतना मुनाफा नहीं था. फिर हमने सब्जियों की खेती की तरफ रुख किया और आधे बीघे में टमाटर लगा दिए. इस समय हमारे पास आधे एकड़ में हाइब्रिड किस्म का टमाटर लगा है. इसकी खेती में लागत एक बीघे में 20 से 25 हजार रुपये आती है और मुनाफा एक से डेढ़ लाख रुपये तक हो जाता है. इस किस्म की पैदावार अधिक है. इसकी फ्रूटिंग भी अच्छी होती है. फल बड़े होते हैं, जिससे इसकी कीमत भी बाजार में अच्छी मिलती है. श्याम टमाटर की खेती मल्च विधि से करते हैं जिससे पौधों में सड़न और रोग कम लगता है. सिंचाई भी आसानी से हो जाती है.
उगाने की विधि
किसान श्याम सिंह कहते हैं कि टमाटर की खेती करना आसान है. सबसे पहले हम टमाटर के पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं. फिर खेत की जुताई कर मेड़ बनाकर मल्च बिछा देते हैं और उसमें छेद कर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पौधे लगा दिए जाते हैं. इसके बाद करते हैं सिंचाई. आगे चलकर टमाटर के पौधों को डोरी के सहारे बांस से बांध देते हैं ताकि पौधा सीधा रहे. इससे कीटनाशकों का छिड़काव करने में आसानी होती है और रोग भी कम लगता है. पौधा लगाने के दो महीने बाद फल आने शुरू हो जाते हैं और पैदावार पांच से छह महीने तक आराम से चलती है.