बालाघाट. मध्य प्रदेश के बालाघाट में मां काली की अद्भुत प्रतिमा स्थापित है. बताया जाता है कि यह मां काली की एकमात्र प्रतिमा है, जो पेट के बल लेटी है. मां काली का मंदिर वन कार्यालय परिसर में है. इस प्रतिमा को कालीपाट के नाम से भी जाना जाता है. स्थानीय लोगों का दावा है कि मंदिर में मां काली की प्रतिमा का आकार हर साल थोड़ा-थोड़ा बढ़ता है.मां काली के इस प्रसिद्ध मंदिर में पहुंची. वरिष्ठ पत्रकार रूपेश श्रीवास्तव ने बताया कि मान्यता के अनुसार, यह मंदिर जहां स्थित है, वहां पर घना जंगल हुआ करता था. इस जंगल में चरवाहे अपने मवेशियों को चराने के लिए आते थे. उन्होंने ही यहां पर मां काली की पूजा अर्चना शुरू की थी.हर साल बढ़ती है प्रतिमा
श्रद्धालुओं का दावा है कि मां काली की प्रतिमा का आकार हर साल बढ़ता जा रहा है. उनका कहना है कि पहले मां काली की प्रतिमा बहुत छोटी थी. लेकिन, वक्त के साथ बड़ी होती गई. वहीं, ऐसा भी बताया जाता है कि यह मां काली की एकमात्र ऐसी प्रतिमा है, जो लेटी हुई है.
नवरात्रि में यहां खास पूजा
मां काली का दिव्य मंदिर बालाघाट के वन विभाग कार्यालय के पीछे है. वहीं, नवरात्रि के दौरान मां काली का विशेष श्रृंगार किया जाता है. मंदिर में घी व तेल के कलश की स्थापना की जाती है. नवरात्रि के नौ दिन तक पूजा-अर्चना कर कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं. वहीं, इस दौरान भारी संख्या में भक्त आते हैं.
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
मां काली के इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. यहां पर बालाघाट के अलावा मंडला, सिवनी से लोग आते हैं. वहीं, महाराष्ट्र के भंडारा, गोंदिया और नागपुर के भक्त आते हैं. छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु भी आते हैं. भक्तों का मानना है कि यहां पर सच्चे मन से प्रार्थना करने वालों की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं