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हर तरफ फैल रही बालोद के गुलाब की महक: लॉकडाउन में आई बेरोजगारी, गुलाब की खेती से आज ये युवक कमा रहा लाखों

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक युवक फूलों की खेती से सालाना लाखों रुपए कमाई कर रहा है। बालोद जिले के एक छोटे से गांव गुरेदा के देवेंद्र सिन्हा कोरोनाकाल में नौकरी जाने के चलते बेरोजगार हो गए थे। ऐसे में उसकी पत्नी दीप्ति सिन्हा ने उन्हें हौसला दिया। उसकी पत्नी को गेंदे की खेती करने का थोड़ा बहुत अनुभव अपने पिता से मिला था, फिर उसने अपने पति को फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया।इसके बाद बीते दो वर्षों में यह परिवार अब फूलों की खेती कर लाखों रुपए का इनकम कर रहे हैं और अन्य किसानों के लिए यह प्रेरणा साबित हो रहे हैं। इनके बगिया के गुलाब से उड़ीसा के मंदिर भी महकने लगे हैं तो यह अब बड़े मंच पर बालोद जिले को उद्यानिकी के क्षेत्र में रिप्रेजेंट भी करने लगे हैं। सालाना 10 से 15 लाख की कमाई कर रहे हैं।बालोद जिले के देवेंद्र सिन्हा और उनके पिता भुवनेश्वर सिन्हा एकमात्र ऐसे किसान हैं जिन्होंने फूलों की खेती में निरंतर मेहनत कर नाम और पैसा दोनों कमाया है। आज यह परिवार ग्राम गुरेदा में एक एकड़ की खेती में गुलाब की खेती कर रहे हैं और लगन से मेहनत कर इस काबिल बन चुके हैं कि खेती के लिए लिया गया लाखों रुपए का कर्ज अब यह चुका पाने में सक्षम हो गए हैं। देवेंद्र सिंह ने हमसे बात करते हुए बताया कि कोरोनाकाल में जब मेरी नौकरी गई तो मैं पूरी तरह टूट गया था। फिर मेरी पत्नी ने मुझे सहारा दिया। शादी के पहले उसके पिताजी जो गंदे की खेती करते थे, उसका अनुभव मेरी पत्नी को था। फिर उसने खेती का सुझाव दिया। मैंने गवर्नमेंट की वेबसाइट में शासकीय सहयोग के बारे में सर्च किया। उसके बाद हमने खेती करना शुरू किया और आज हम एक अच्छे से खेती कर पा रहे हैं।

देवेंद्र ने बताया कि जब मैने खेती करना शुरू किया तो इसके लागत को लेकर मैं परेशान था केंद्र सरकार की योजनाओं का मैने सहारा लेना चाहा। गुलाब की खेती में सबसे महत्वपूर्व चीज है, पॉली हाउस जिसकी लागत 52 लाख के करीब है। इसे मैंने सब्सिडी में लोन लेकर लगवाया उसके बाद कम से कम 20 लाख रुपए की लागत मैंने स्वयं से लगाई। इस तरह 70 लख रुपये की लागत से मेरी फूलों की यह खेती शुरू हुई और आज इस काबिल बन पाया हूं कि मैं अब अपना लोन अच्छे से चुका पा रहा हूं और मैं और मेरा पूरा परिवार इस खेती से काफी खुश है।देवेंद्र और उसकी पत्नी ने बताया कि हमारे खेतों की यह गुलाब उड़ीसा को भी महकती है। उन्होंने पहले प्राथमिक बाजार के रूप में दुर्ग भिलाई को अपनाया था। आज भी रोजाना उनका गुलाब बालोद से कट कर दुर्ग भिलाई के बाजारों में जाता है उसके बाद हाई डिमांड पर यह माल उड़ीसा भेजा जाता है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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