वडोदरा: आज कल कई किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. वडोदरा के गिरीशभाई ने 2019 में गाय आधारित प्राकृतिक खेती अपनाई और तभी से वह कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से मुक्त हो गए हैं. उन्होंने सरकार द्वारा चलाए जा रहे आत्मा परियोजना से प्रेरणा ली और अपनी 5 बीघा ज़मीन पर प्राकृतिक खेती शुरू की. वह बैगन, गोभी, अमरूद, टमाटर, केले, पालक, मेथी और धनिया उगाते हैं. उनसे लगभग ₹30,000 प्रति माह सब्जियों की बिक्री से कमाई होती है.
कोरोना के दौरान मैं 13 दिन अस्पताल में भर्ती था. घर पर ठीक होने में तीन महीने लग गए. उसके बाद मैंने प्राकृतिक खेती शुरू की. तब से मैंने कोई दवाई नहीं ली और न ही अस्पताल गया. जो प्राकृतिक उत्पाद मेरे परिवार द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं, वे मुझे आंतरिक ताकत और स्वास्थ्य के फायदे दे रहे हैं. मुझे यह खेती करने में मज़ा आता है. रासायनिक खेती (Chemical Farming) के मुकाबले इस खेती की लागत भी कम हुई है.”
उन्होंने आगे कहा, “प्राकृतिक खेती एक ऐसा कृषि प्रणाली है जो जैविक और सतत तरीकों का उपयोग करके फसलें उगाने पर जोर देती है, बिना सिंथेटिक रसायनों या कीटनाशकों (synthetic chemicals or pesticides) के इस दृष्टिकोण में मृदा, पौधों, जानवरों और लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाती है. इसके परिणामस्वरूप, प्राकृतिक खेती पर्यावरण को लाभ पहुंचाती है और स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है.”प्राकृतिक खेती के स्वास्थ्य लाभ (health benefits of natural farming)
बता दें कि प्राकृतिक खेती के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जैसे कि पोषक तत्वों से भरपूर, विषाक्त पदार्थों से मुक्त खाद्य पदार्थ (toxin-free foods) जो एक स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देते हैं, जैव विविधता को संरक्षित करते हैं और पर्यावरण की रक्षा करते हैं. रासायनिक पदार्थों (Chemical Substances) से बचने के कारण, प्राकृतिक किसान फल और सब्जियां उगाते हैं जो विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती हैं. यह समग्र स्वास्थ्य को समर्थन देता है और हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करता है