छत्तीसगढ़

सावित्रीपुर स्कूल में मनाया गया संविधान दिवस,छात्र-छात्राओं ने संविधान के सम्मान की शपथ ली

सावित्रीपुर स्कूल में मनाया गया संविधान दिवस,छात्र-छात्राओं ने संविधान के सम्मान की शपथ ली ………………………. सांकरा, जोंक,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सावित्रीपुर में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को भारत के संविधान के बारे में अनेक जानकारियां दी गई।साथ ही बच्चों ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन करते हुए संविधान के सम्मान की शपथ ली।इस अवसर पर संस्था के प्राचार्य पी सिदार सर ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत दुनिया के सबसे विस्तृत और लिखित संविधान पर मजबूती से टिका हुआ है ।यह देश की शासन व्यवस्था का आधार और पथ प्रदर्शक होने के साथ ही दुनिया की सर्वाधिक आबादी की अभिलाषाओं और आकाक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही देश की अनूठी सांस्कृतिक विविधताओं को भी प्रतिबिंबित करता है।इसलिए यह ग्रंथ विश्व की सर्वाधिक आबादी की आस्था का प्रतीक होने के कारण महाग्रंथों में भी महानतम ग्रंथ है। वरिष्ठ व्याख्याता निर्मल साहू ने भारतीय संविधान के महत्व पर विचार प्रकट किया ।उन्होंने कहा कि संविधान में दिए गए सभी अधिकार एवं कर्तव्य आम नागरिक के सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि संविधान के नियमों का पालन करते हुए प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज और देश का उत्थान कर सकता है ।व्याख्याता सिंह सर ने कहा कि देश को आजादी के बाद सुव्यवस्थित संचालन के लिए 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया। देश में संविधान की महत्ता को बढ़ाने के लिए इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ।उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना हर नागरिक को स्थिति और अवसर की क्षमता प्रदान करती है जिसका अभिप्राय है समाज के किसी भी वर्ग के लिए विशेष अधिकार की अनुपस्थिति और बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति को समान अवसर प्रदान करना ।व्याख्याता श्रीमती सविता जलछत्री मैम ने कहा कि स्वतंत्रता,समानता और बंधुत्व हमारे संविधान के यह मूलभूत सिद्धांत मानव सभ्यता के आरंभ से ही मानव जाति की आकाक्षाओं के शाश्वत प्रतीक रहे हैं ।ऐसा इसलिए क्योंकि संविधान सभा के सदस्य अपने देश की मिट्टी से जुड़े थे ।वह देश के ऐतिहासिक सामाजिक, राजनीतिक ,आर्थिक और सांस्कृतिक परिवेश से पूर्ण रूप से अवगत थे। ईडी हेड बी डी साहू सर ने कहा कि जिस प्रकार संविधान में अनुसूचित जातियों,अनुसूचित जनजातियों ,अल्पसंख्यकों के लिए विशेष रक्षा उपाय किए गए हैं ,राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को समाहित किया गया है तथा भाषा संबंधी प्रावधान किए गए हैं ,उनसे स्पष्ट होता है कि संविधान में हमारे समाज और संस्कृति से जुड़े मौलिक मुद्दे पर गहराई से विचार किया गया है। व्याख्याता डीके भारती सर ने कहा कि संविधान के उपबंधों ने न केवल हमारी राजनीतिक व्यवस्था के लिए प्रहरी का काम किया है , अपितु हमारे संविधान निर्माताओ के स्वप्नों के अनुरूप सामाजिक ,आर्थिक परिवर्तन लाने में हमारा मार्गदर्शन भी किया है। व्याख्याता उत्तम भोई ने कहा कि संविधान निर्माता ने संविधान का निर्माण करते समय अपनी बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता का प्रयोग करते हुए इसे लचीला और कारगर बनाया ताकि एक कल विशेष में बनाया गया यह दस्तावेज भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को समायोजित कर सके। व्याख्याता पी आर कल्ला सर ने कहा कि हमारे संविधान की एक विशेषता यह है कि यह प्रत्येक नागरिक की आशाओं अपेक्षाओं का प्रतिबिंब है। इसमें विविधता का सम्मान है और मतभेद के लिए पर्याप्त स्थान है ।हमारी राजनीतिक विचारधारा में संविधान में निहित मूल्य और आदर्शों की जड़ें इतनी गहरी है कि तमाम चुनाव के बाद सत्ता के हस्तांतरण में कभी बाधा नहीं आई है और सत्ता का सुचारु हस्तांतरण पूरे विश्व के लिए विलक्षण मिसाल है। मिडिल स्कूल हेडमास्टर एस एल पटेल सर ने कहा कि संविधान के माध्यम से राष्ट्र और नागरिकों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का समाधान किया जाता है ।नागरिक अपनी समस्याओं के निवारण के लिए और अपने अधिकारों की प्रवर्तन के लिए संविधान के आधार पर ही जन प्रतिनिधियों और कार्यपालिका के पदाधिकारी से संपर्क करते हैं और विधान मंडलों और न्यायपालिकाओं के समक्ष अपने विषय उठाते हैं ।प्राइमरी स्कूल हेड मास्टर महेंद्र तांडी सर ने बताया कि भारतीय संविधान भारत के लोकतंत्र का मूल आधार है।आज भारत का आधुनिक लोकतंत्र 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पूर्ण कर प्रगति पद पर अग्रसर है ।इस 75 वर्षीय यात्रा के केंद्र में हमारा संविधान प्रतिष्ठित रहा है । तथा हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान की रचना में भारतीय जीवन मूल्यों की मान्यताओं,आधुनिक शासन और भविष्य की आशाओं तथा आकांक्षाओं की पूर्ति को केंद्र में रखा था ।इन लक्ष्यों की सिद्धि करने वाले दस्तावेज के रूप में हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को देश की जनता को समर्पित किया गया था तथा समय के साथ भारत की जनता और उसके प्रतिनिधियों के बीच संविधान की स्वीकार्यता और प्रासंगिकता बढ़ी है तो इसी कारण की आरंभ से ही यह जनता द्वारा पूर्णता स्वीकार किया गया है और हमारे संविधान ने समाज के सभी वर्गों में आशा ,विश्वास और न्याय की भावना का संचार किया है। एन के जलछत्री सर ने कहा कि संविधान के निर्माता का अंतिम उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य और समता मूलक समाज का निर्माण करना था। जिसमें भारत के उन लोगों के उद्देश्य और आकाक्षाएं शामिल थीं जिन्होंने देश की आजादी की प्राप्ति के लिए अपना सबकुछ बलिदान कर दिया था। इन्हीं उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संविधान सभा द्वारा 114 बैठकों के बाद इसका प्रारंभिक ड्रॉप तैयार हुआ और उसे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 2 साल 11 महीने 18 दिन में अंतिम रूप दिया। संकुल समन्वयक पी एल चौधरी पल चौधरी ने कहा कि संविधान दिवस के अवसर पर हमें न सिर्फ स्वतंत्र भारत का नागरिक होने का एहसास होता है बल्कि संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों से हमें अपना हक मिलता है साथ ही लिखित मूल कर्तव्य से हमें नागरिक के तौर पर अपनी जिम्मेदारियां की भी याद दिलाता है ।पी के साहू सर ने बताया कि हर साल भारतीय संविधान के बारे में लोगों को जागरूक करने और संविधान के महत्व व अंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं को फैलाने के उद्देश्य से संविधान दिवस मनाया जाता है ।ध्रुव सर ने कहा कि हमारे संविधान की उद्देशिका में यह बात स्पष्ट है कि संविधान की सभी शक्तियों का स्रोत भारत के लोग ही हैं और प्रस्तावना इस बात की घोषणा करती है कि भारत एक समाजवादी ,धर्मनिरपेक्ष,लोकतांत्रिक गणतंत्र राष्ट्र है। कीड़ा सचिव आदर्श मिश्रा ने कहा कि भारतीय गणराज्य को यह अद्वितीय दस्तावेज देने का श्रेय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को तो जाता ही है, जिनके लिए देश उनका ऋणी रहेगा,लेकिन इस महान उपलब्धि के पीछे कई हस्तियों का योगदान है तथा प्रत्येक संविधान का उद्देश्य और दर्शन होता है भारत के संविधान का उद्देश्य ‘हम भारत के लोग’की रिद्धि ,सिद्धि और समृद्धि हैl टी आर यादव सर द्वारा संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वचन कराया गया और उन्होंने कहा कि आज संविधान दिवस के अवसर पर हम सब यह संकल्प लें कि संविधान की भावना से प्रेरणा लेकर हम आने वाली पीढियां के लिए एक सशक्त समावेशी और समृद्ध भारत का निर्माण करेंगे।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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