देश दुनिया

सर्दियों का राजा रामफल… सिर्फ 4 महीने मिलता है, खाने से शरीर में गर्मी, कई बीमारियों से छुटकारा!

खरगोन. कुछ फल और सब्जियां इतनी खास होती हैं, जिसे खाने के लिए निमाड़ में लोग पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं. गराडू भी उन्हीं में से एक है, जो सिर्फ सर्दियों के चार महीने ही खाने को मिलता है. हालांकि, गराडू सब्जी की श्रेणी में आता है, लेकिन लोग इसे चाट के रूप में खाना ज्यादा पसंद करते हैं. सर्दियों का मौसम शुरू होते ही खरगोन में भी गराडू की दुकानें सजने लगी हैं. लोग बड़े चाव से गराडू खाने दुकानों पर पहुंच रहे हैं. गराडू स्वाद में जितने लाजवाब होते हैं, बीमारियों के लिए भी उतने ही फायदेमंद होते हैं.

सालों से सर्दियों के मौसम में यहां गराडू चाट की दुकान लगा रहे हैं. 50 रुपये एक प्लेट (100 ग्राम) देते हैं. शाम 6 बजे से रात 11 बजे तक दुकान लगाते हैं. 5 घंटे में 50 से ज्यादा प्लेट बिक जाती है. स्वाद बढ़ाने के लिए खास मसाले मिलाते हैं. उनके यहां से लोग 80 रुपये किलो के भाव गराडू घर भी ले जाते हैं.

भगवान राम ने भी खाए थे गराडू
दुकानदार बताते हैं कि गराडू की तासीर गर्म होती है. इसे सर्दियों में खाने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है. शरीर को जवान बनाए रखने के लिए भी लोग इसका सेवन करते हैं. मान्यता है कि त्रेता युग में वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने गराडू खाए थे, इसलिए इसे रामफल भी कहा जाता है. पहले यह जंगलों में ही पाए जाते थे, लेकिन अब किसान बड़े पैमाने पर खेती भी करने लगे हैं.शरीर को रखे हमेशा जवान
आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, गराडू को सर्दियों का राजा भी कहां जाता है. ठंड में गराडू खाने के कई फायदे हैं. आयुर्वेद में इसे कई बीमारियों के लिए रामबाण माना जाता है. गराडू में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते है. कैल्शियम, आयरन, मैंगनीज, विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्व पाए है, जो पेट से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में कारगार है. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. दांत और हड्डियां मजबूत होती है. शहरी लंबे समय तक जवान रहता है.

 

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें.  जगन्नाथ डॉट कॉम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

Manoj Mishra

Editor in Chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button