वैदिक ज्योतिष अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के ऊपर नवग्रहों की महादशा और अंतर्दशा एक निश्चित अंतराल पर आती हैं। इन दशाओं में व्यक्ति को अशुभ और शुभ फल मिलते हैं। मतलब जन्मकुंडली में अगर ग्रह शुभ विराजमान हैं तो फल लाभप्रद मिलेगा। लेकिन अगर ग्रह अशुभ स्थित है तो मनुष्य को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही फल नकारात्मक मिलेगा।
यहां हम बात करने जा रहे हैं ग्रहों के सेनापति मंगल ग्रह के बारे में, जिनकी महादशा व्यक्ति के ऊपर 07 साल तक रहता है। ज्योतिष में मंगल ग्रह को ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, रक्त शौर्य का माना गया है।। आइए जानते हैं मंगल की महादशा का व्यक्ति की लाइफ पर प्रभाव…
मंगल ग्रह की महादशा का जीवन में असर
अगर कुंडली में मंगल ग्रह शुभ हो स्थित
वैदिक ज्योतिष किसी व्यक्ति की जन्मपत्री में अगर मंगल ग्रह शुभ स्थित हैं तो वह व्यक्ति सहसी होत है। साथ ही ऐसा व्यक्ति जोखिम उठाने से नहीं घबराता है। वहीं ऐसा व्यक्ति पुलिस, खेल और सेना में अपना करियर बनाएं तो उसको अच्छा लाभ होता है। साथ ही अगर मंगल ग्रह लग्न में उच्च का अगर स्थित है तो व्यक्ति को समाज में मान- सम्मान की प्राप्ति होती है। अगर किसी व्यक्ति पर मंगल ग्रह की महादशा चल रही है तो उसको अच्छा फल प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति को प्रापर्टी का सुख प्राप्त होता है। वहीं व्यक्ति को पैतृक संपत्ति का भी लाभ मिलता है
अगर कुंडली में मंगल ग्रह निगेटिव हो स्थित
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह निगेटिव यानी कि नीच के स्थित हो तो व्यक्ति को जीवन में कई मुश्किलों को झेलना पड़ता है। साथ ही ऐसे व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में परेशानियां बनी रहती हैं। साथ ही पीड़ित मंगल के प्रभाव से व्यक्ति को दुर्घटना का खतरा रहता है। वहीं अगर व्यक्ति मंगली हो तो व्यक्ति के विवाह होने में दिक्कत रहती है साथ ही जातक को शत्रुओं से पराजय, ज़मीन संबंधी विवाद, क़र्ज़ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही व्यक्ति डरपोक प्रवृत्ति का हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को प्रापर्टी के लेन- देन में नुकसान रहता है। साथ ही व्यक्ति को रक्त से संबंधित परेशानियों को सामना करना पड़ता है।