जालोर. सेवन का वृक्ष, जो धार्मिक आस्था और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है, मंदिरों, धार्मिक स्थलों और घरों के बाहर विशेष रूप से लगाया जाता है. इस पौधे के प्रति लोगों की श्रद्धा इतनी गहरी है कि इसे लक्ष्मी-नारायण का वास स्थान माना गया है. जालोर में ऐसी मान्यता है कि सेवन का पौधा लगाने से घर और आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है.
कुछ लोग अपनी दिनचर्या की शुरुआत इस वृक्ष के सामने हाथ जोड़कर करते हैं. माना जाता है कि इस पौधे को प्रणाम करने से कार्यों में सफलता मिलती है और नकारात्मक विचार दूर रहते हैं. जालोर के मंदिरों और आश्रमों में सेवन के वृक्ष की महत्ता इतनी है कि इसे पूजा स्थलों के पास लगाया जाता है ताकि श्रद्धालुओं को इसके धार्मिक और सकारात्मक प्रभाव का अनुभव हो सके.
कई रीति-रिवाजों से जुड़ा यह सेवन का पौधाजालोर की माता रानी भटियाणी नर्सरी के संचालक भरत सिंह राजपुरोहित ने जगन्नाथ डॉट कॉम को बताया कि सेवन का वृक्ष न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण पौधा है. यह वृक्ष अत्यंत घना होता है, जिससे यह गर्मियों के समय में छाया प्रदान करता है और पर्यावरण को भी शुद्ध करता है. जालोर के सूखे वातावरण में यह पौधा स्थानीय जैव-विविधता का समर्थन करता है और पक्षियों व अन्य जीवों के लिए एक आश्रय स्थल बनता है. जालोर के रीति-रिवाजों से जुड़ा यह सेवन का पौधा सिर्फ एक साधारण पौधा नहीं, बल्कि एक धार्मिक प्रतीक है. घर के बाहर सेवन का वृक्ष लगाने से न केवल परिवार को समृद्धि और सुख मिलता है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी बनाए रखने में योगदान देता है. इसलिए, लोग सेवन का वृक्ष लगाने में गर्व महसूस करते हैं. यह पौधा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भी प्रतीक है.Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का जगन्नाथ डॉट कॉम व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.