रायपुर। अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर सिलसिलेवार आंदोलन कर रहे सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों ने आंदोलन के चौथे चरण में आज कलम बंद काम बंद हड़ताल कर दी। इससे पूरे प्रदेश में सरकारी कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। वहीं 48 हजार से ज्यादा शासकीय स्कूलों में भी ताले लटके रहे। छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर राज्यभर के करीब 4 लाख अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए। इससे अपने काम के सिलसिले में दफ्तर पहुंचने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। स्कूलों में भी शिक्षकों की उपस्थिति नहीं रही। स्कूल पहुंचने के बाद बच्चों में असमंजस के हालात नजर आए।
अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले सरकारी कर्मचारियों से उनकी मांगें पूरी करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती तो फेडरेशन अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान करेगा। वर्मा ने जानकारी दी कि प्रदेश के 33 जिलों और 146 विकासखंडों में कर्मचारी-अधिकारी प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। बाद में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। गौरतलब है कि फेडरेशन ने मोदी की गारंटी को लागू नहीं किए जाने की स्थिति में चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की थी। इसके तहत, दूसरे चरण में 20 से 30 अगस्त के बीच सांसदों और विधायकों को ज्ञापन सौंपा गया। तीसरे चरण में 11 सितंबर को जिलों, ब्लॉकों और तहसीलों में मशाल रैलियों और प्रदर्शनों का आयोजन किया गया। चौथे चरण में आज 27 सितंबर को प्रदेश के सभी कर्मचारी और अधिकारियों ने अवकाश पर रहकर कलम बंद, काम बंद हड़ताल की।
पढ़ाई-लिखाई रही ठप्प
छत्तीसगढ़ के लगभग 48,000 सरकारी स्कूलों में आज पढ़ाई-लिखाई पूरी तरह ठप रही। छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के कलम बंद, काम बंद आह्वान पर करीब 1 लाख 75 हजार शिक्षकों ने सामूहिक अवकाश लिया था। इनमें प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के शिक्षक शामिल हैं। डीए समेत अन्य मांगों को लेकर फेडरेशन ने हड़ताल का आह्वान किया था, जिसमें शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने सामूहिक रूप से छुट्टी का आवेदन दिया। एक स्कूल में यदि 17 शिक्षक हैं, तो सभी ने एक साथ स्कूल न आने की सूचना दी। इसके चलते आज सुबह की पाली में स्कूल पहुंचे बच्चों को खासी दिक्कतें पेश आई। उन्हें यह समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर स्कूल क्यों नहीं खुले हैं। हालांकि अनेक स्थानों पर बच्चों को पहले ही छुट्टी की सूचना दे दी गई थी।
ये हैं फेडरेशन की 4 मांगें
महंगाई भत्ता : केंद्र सरकार के समान 1 जनवरी 2024 से 4 फीसद महंगाई भत्ता दिया जाए और जुलाई 2019 से देय महंगाई भत्ते के एरियर्स की राशि का समायोजन जीपीएफ खाते में किया जाए।
समयमान वेतनमान : घोषणा पत्र के अनुसार शासकीय सेवकों को समयमान वेतनमान प्रदान किया जाए।
गृह भाड़ा भत्ता : केंद्र सरकार के समान गृह भाड़ा भत्ता दिया जाए।
अर्जित अवकाश नगदीकरण : मध्यप्रदेश सरकार की तरह, शासकीय सेवकों के अर्जित अवकाश का नगदीकरण 240 दिनों के बजाय 300 दिनों के लिए किया जाए।
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