आंध्र प्रदेश की कुर्नूल मंडी में किसानों को अच्छी कमाई हो रही है. वे 2500 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक प्याज बेच रहे हैं. हाल के दिनों में जिस तरह से प्याज के भाव में तेजी आई है, उसे देखते हुए किसानों की कमाई भी बढ़ी है जिससे उनके चेहरे खुशी से खिल गए हैं.
प्याज का भाव कहीं रुला रहा है तो कहीं हंसा भी रहा है. रुलाने की बात इसके खरीदारों के लिए है तो हंसाने की बात किसानों के लिए. उन इलाकों के किसान आजकल खुश हैं जहां की मंडियों में उन्हें प्याज का भाव अच्छा मिल रहा है. प्याज के बढ़ते दाम से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. हम यहां बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के कुर्नूल की. यहां की प्याज मंडी में किसानों को अच्छा रेट मिल रहा है. अभी यह भाव 2500 रुपये से 3500 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है जिससे किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है.
पिछले साल इसी मंडी में प्याज का भाव मुश्किल से 500 रुपये से 1000 रुपये क्विंटल पर था. तब किसान बहुत मायूस और नाराज थे. खेती भी लागत निकालना भी मुश्किल था. किसानों ने विरोध में अपनी उपज भी फेंक दी थी. लेकिन इस बार हालात बदले हैं. खुले बाजार में प्याज की खुदरा कीमतें बढ़ने से किसानों में खुशी है. किसान इस अनुमान से भी खुश हैं कि आने वाले दिनों में भाव और चढ़ेंगे क्योंकि देश के अंदर प्याज की मांग त्योहारी सीजन में बढ़ेगी.
प्याज के भाव में उछाल क्यों?
पूरे देश में प्याज के भाव में उछाल देखा जा रहा है. कुछ महीने पहले जो प्याज मुश्किल से 20-30 रुपये किलो बिक रहा था, वही प्याज आज 50 रुपये को पार कर गया है. इस तरह प्याज की कीमतों में लगभग 50 फीसद से अधिक की बढ़त है. इससे आम लोगों को तकलीफ है क्योंकि उनकी जेब ढीली हो रही है. दूसरी ओर किसान खुश हैं क्योंकि उनकी उपज के सही रेट मिल रहे हैं. कई महीने से नुकसान में चल रहे किसानों को उपज का सही दाम मिल रहा है.
आंध्र प्रदेश की बात करें तो यहां खुले बाजार में प्याज 50 रुपये किलो बिक रहा है. वहीं आम लोगों के लिए सरकारी रायतू बाजार में इसका रेट 42 से 45 रुपये किलो चल रहा है. इस तरह रायतू बाजार में कुछ तो राहत जरूर है, लेकिन आम लोगों के लिए यह रेट चुभाने वाला है. सितंबर महीने में प्याज के भाव में अक्सर तेजी देखी जाती है क्योंकि मॉनसून के चलते भारी बारिश से सप्लाई प्रभावित होती है. प्याज खराब भी होता है. लेकिन इस बार सितंबर के पहले ही प्याज के भाव में बढ़ोतरी शुरू हो गई.
डिमांड-सप्लाई में अतर
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि महाराष्ट्र में बहुत पहले ही प्याज की फसल खराब हो गई. महाराष्ट्र प्याज का गढ़ है, लेकिन वहीं काम खराब हो गया. बेमौसम बारिश ने फसल नष्ट कर दिए, किसान बदहाल हो गए.महाराष्ट्र के किसान नुकसान में तो गए, लेकिन इसका सीधा फायदा कुर्नूल के किसानों को मिला क्योंकि उनके प्याज की अचानक मांग बढ़ गई. यही वजह है कि कुर्नूल मंडी में दिनों दिन प्याज के भाव में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
एक तरफ कुर्नूल के प्याज की मांग बढ़ी तो दूसरी ओर यहां से सप्लाई की कमी देखी गई. वजह ये है कि कुर्नूल जिले में प्याज की खेती पहले से घट गई है. पहले जहां 30,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती होती थी, वही अब 85,00-9000 हेक्टेयर में सिमट गई है. कुर्नूल के प्याज का स्वाद महाराष्ट्र के प्याज की तरह होता है, इसलिए मांग में अक्सर तेजी रहती है. लेकिन खेती घटने से सप्लाई घटी है, तभी इसके रेट भी अधिक चल रहे हैं.