भिलाई। थोड़ी सी लापरवाही किस तरह किसी की जान को मुसीबत में डाल सकती है, इसका ताजा नमूना धमधा में सामने आया है. एक लगभग ढाई साल के बच्चे को उसकी दादी अंकुरित चने खिला रही थी। बच्चा किलकारियां मारता चने खा रहा था कि एकाएक उसकी किलकारियां बंद हो गईं। वह छटपटाने लगा और उसके गले से सीटी की आवाजें आने लगीं. बिगड़ती हालत को देखते हुए उसके माता-पिता उसे तत्काल हाईटेक हॉस्पिटल लेकर आए।
हाइटेक के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ अपूर्व वर्मा ने बताया कि दरअसल, चना बच्चे की श्वांस नली में जाकर फंस गया था. इसकी वजह से बच्चा सांस नहीं ले पा रहा था और सांस लेने की कोशिश में सीटी जैसी आवाज आ रही थी। बच्चे का ऑक्सीजन सैचुरेशन तेजी से गिर रहा था।
बच्चे की हालत को देखते हुए शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ नरेश देशमुख एवं इंटेंसिविस्ट डॉ श्रीनाथ के साथ टीम बनाई गई। एक्स-रे के द्वारा अवरोध का पता लगने के बाद ट्रेकियोस्टोमी द्वारा बच्चे की सांस को सुचारू करने के इंतजाम किये गये। इसके बाद मुंह के रास्ते से ब्रोंकोस्कोप को सांस के रास्ते में सरकाया गया ताकि अवरोध पैदा करने वाली वस्तु को निकाला जा सके। यह वास्तव में चना ही था जिसने श्वांस नली को लगभग पूरा ढंक लिया था।
डॉ वर्मा ने कहा कि प्रोसीजर के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब बच्चे का आक्सीजन सैचुरेशन 20-25 के करीब आ गया। पर जैसे ही अवरोध हटा बच्चे की हालत में तेजी से सुधार होने लगा। फिलहाल वह खतरे से बाहर है तथा ट्यूब हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि बच्चा जब खेल रहा हो या किलकारियां मार रहा हो तब उसके मुंह में खाने का सामान नहीं देना चाहिए। ऐसे समय में बच्चे का ध्यान भोजन पर नहीं होता और वह सांस की नली में जा सकता है। इससे कभी-कभी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
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