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इस झरने से थर-थर कांपते हैं लोग! पाताल से है जुड़ा, आज तक सामने नहीं आई गहराई

झरनों से बहता हुआ पानी बेहद खूबसूरत दिखता है. लेकिन क्या होगा अगर पानी की गहराई सामने न आए. कई लोगों की जान चली जाएगी. यह सब सच में हुआ भी है. कहानी है पातालपानी झरने (Patalpani Waterfall) की. जिसे लोग किसी रहस्य से कम नहीं मानते. 300 फीट की ऊंचाई से यह गिरता है. आसपास का हरा-भरा माहौल देख दिल खुश हो जाता है. लेकिन इसकी गहराई कितनी है, यह आज तक कोई नहीं जान पाया है. कई लोगों की यहां जान भी जा चुकी है, जिस वजह से लोग इसे पाताल से जुड़ा बताते हैं.

पातालपानी झरने की कहानी
टाइगर फॉल और ऐसे ही कई नाम झरने के आपने सुने होंगे. लेकिन पातालपानी नाम सुनने में थोड़ा डरावना लगता है. आम लोग पातालपानी को पाताल की गहराई तक ले जाने वाला झरना भी कहते हैं. इसकी गहराई की गुत्थी ही इसे रहस्यमयी बनाती है.

कोई नहीं खोज पाया गहराई का रहस्य
इस झरने की गहराई को आज तक कोई नहीं नाप पाया है. हां, लेकिन लोगों का यही कहना कि यह झरना सीधा पाताल में ले जाता है. लोग झरने को देखने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन दूरी बनाकर रखते हैं. जो एक बार झरने की चपेट में आ गया, वो वापिस अभी नहीं आ पाएगा.  ज्यादा पास जाने पर पैर फिसलने और गहराई में गिरने का डर रहता है.

हेरिटेज ट्रेन का मजा
पातालपानी से कालाकुंड तक हेरिटेज ट्रेन भी चलती है. इस ट्रेन का नंबर 52965 है. आईआरसीटीसी, मेक माई ट्रिप और पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म से आप ट्रेन को बुक कर सकते हैं. इस ट्रेन में बैठने के बाद एक अलग ही एक्सपीरियंस करने का मौका मिलता है. 2 घंटे तक रुक कर पहाड़ों और झरनों का आनंद आप यहां उठा सकते हैं. IRCTC की वेबसाइट पर जाकर भी आप ट्रेन की बुकिंग कर सकते हैं.

इंदौर में घूमने की जगह
पातालपानी और खानपान के अलावा इंदौर में कुछ और घूमने लायक जगहें भी हैं. इस लिस्ट में गंगा महादेव मंदिर, तिंछा फॉल, गोलावत, देवास टेकरी, जाम गेट और बिलावली ताल जैसी जगह शामिल हैं.कब और कैसे जाएं
पातालपानी इंदौर रेलवे स्टेशन से करीब 35 किलोमीटर दूर है. पातलापानी का भी रेलवे स्टेशन है. मानसून में यहां का नजारा देखने वाला होता है. इस दौरान पानी की प्रवाह भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. यहां जाते वक्त सही फुटवियर का चुनाव करें. सुबह 11 बजे से शाम के 8 बजे तक यह झरना खुला रहता है. यहां जाने के लिए आपको कोई टिकट नहीं लेनी होगी. हां, बरसात के दिनों में यहां पैर फिसलने का बहुत डर रहता है, इसलिए न घूमने की सलाह दी जाती है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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