भिलाई। भगवान शिव को समर्पित सावन माह के पहले सोमवार को दुर्ग-भिलाई के शिवमंदिरों में भक्तों की कतार लगी। भगवान शिव का जलाभिषेक करने भक्त सुबह से जुटे रहे। दुर्ग भिलाई के शिवमंदिरों के साथ ही शिवनाथ नदी के तट पर शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी। मंदिरों में पंचाक्षरी मंत्र के साथ भक्तों ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया। भक्त महादेव का दूध, दही, शहद, घी, फलों के रस, शक्कर, मंदार के फूल, धतूर, भांग, धूप दीप आदि से अभिषेक व पूजन कर भोलेनाथ के जयकारे लगा रहे हैं।
शहर के बैंकुठधाम, नेहरूनगर भेलवा तालाब मंदिर, सेक्टर 7 तालाब स्थित शिवमंदिर, जलकंठेश्वर मंदिर, दुर्ग स्थित पशुपतिनाथ मंदिर, शिवनाथ नदी स्थित शिवमंदिरों में विशेष पूजन व रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। भगवान शिव को अतिप्रिय सावन के महीने में महादेव को मात्र जल अर्पण करने से ही पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि सावन का पहला सोमवार काफी शुभ होता है। इस दिन जो भी भक्त पूरी भक्ती और श्रृद्धा के साथ भगवान शिव को एक लोटा जल चढ़ाता है उसकी मन्नत भगवान जरूर पूरा करते हैं।
इसलिए होता है महादेव का जलाभिषेक
सावन मास और सावन सोमवार की पौराणिक महत्ता है। सावन के महीने में महादेव को जल चढ़ाने के पीछे मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला तब चारो ओर हाहाकर मच गया। विष के असर से देवता और असुर परेशान हो गए। तब सभी ने मिलकर त्रिनेत्रधारी शिव से प्रार्थना कर विष को ग्रहण करने कहा। महादेव ने समुद्र से निकले विष को पीकर उसे अपने कंठ में रख लिया। उनका कंठ विष के असर से नीला पड़ गया। उनके पूरे शरीर में जलन होने लगी। तब सभी देवताओं और भक्तों ने उन पर लगातार जल अर्पण किया और यह सिललिसा महीने भर चला। जिस समय महादेव ने विश का सेवन किया वह महीना सावन का था। इसलिए सावन के महीने में महादेव को कुछ अर्पण करें या ना करें पर उन्हें जल अर्पण करने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं।
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