जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri ) के रत्न भंडार की 46 साल बाद गणना हो रही है. आखिरी बार साल 1978 में जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोला गया था और खजाने में रखे गए सामान की गिनती हुई थी. इस बार रत्न भंडार की गणना के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय टीम बनी है. जिसमें मंदिर प्रशासन के अधिकारी और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के अफसर भी शामिल साल पहले जब पुरी का रत्न भंडार (Jagannath Puri Temple Treasure) खोला गया था, तब खजाने की गिनती के लिए देशभर से एक्सपर्ट बुलवाए गए थे. जिसमें तिरुपति मंदिर के पुजारी भी शामिल थे. 1978 में रत्न भंडार में रखे एक-एक समान की गिनती हुई थी और बाकायदे इन्वेंटरी बनी थी. तब 70 दिनों में गणना पूरी हो पाई थी. साल 1978 में जगन्नाथ पुरी के रत्न भंडार में 747 तरीके के आभूषण मिले थे. जिसमें 454 तरीके के सोने के गहने थे. जिनका वजन 12838 ग्राम था. जबकि 239 तरीके के चांदी के आभूषण मिले थे जिनका वजन 22153 ग्राम था. ओडिशा रिव्यू मैगजीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक रत्न भंडार के भीतरी चेंबर में 180 तरीके के बेशकीमती आभूषण मिले थे. जो सोना, चांदी, हीरा, मोती से बने हुए थे. इनमें से कई ज्वेलरी का वजन तो सवा किलो तक था.
मनी कन्ट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक रत्न भंडार में 128 सोने के सिक्के, 1297 चांदी के सिक्के, 106 कॉपर के सिक्के 24 प्राचीन सोने के सिक्के और तमाम बहुमूल्य रत्न भी मिले थे. 1978 में पुरी के खजाने की गिनती के लिए तिरुपति मंदिर से बुलवाए गए पुजारी और ज्वेलरी एक्सपर्ट भी कई आभूषणों का सही-सही आकलन नहीं कर पाए थे. उनकी आंखें फटी रह गई थीं
भगवान जगन्नाथ पुरी के रत्न भंडार (Jagannath Puri Temple Treasure) में जो खजाना है, उसमें से ज्यादातर ओडिशा के राज परिवारों ने दान दिया है. इसके अलावा समय-समय पर श्रद्धालुओं से मिले बहुमूल्य चढ़ावे भी रत्न भंडार में रखे गए हैं. रत्न भंडार का दो हिस्सा है. बाहरी और भीतरी. बाहरी हिस्से में ऐसी चीजें रखी जाती हैं, जिन्हें समय-समय पर निकालना पड़ता है. जबकि भीतरी हिस्से या इनर चेंबर में सबसे बहुमूल्य खजाना रखा हुआ है.