रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को डायल 112 की टीम ने लाठियों के बीच एक टोकरी बनाकर महिला के बैठने का इंतेजाम कर कंधे पर लादकर तीन किलोमीटर तक पैदल चले। गर्भवती को वाहन तक पहुंचाया लेकिन प्रसव पीड़ा के कारण उसने नाले किनारे ही एक बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया। डायल 112 टीम के प्रयास से एक प्रसुता व उसके बच्चे की जान बची।
बता दें रायगढ़ जिले में कई गांव ऐसे हैं जहां पहुंचने वाले मार्ग दुर्गम होने की वजह से उस क्षेत्र के लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि सरकारी योजनाओं के लाभ से भी गांव के ग्रामीण वंचित हो जाते हैं। शनिवार की दोपहर को ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला। रायगढ़ जिले के कापू थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम घुटरू पारा जो कि पहाड़ के ऊपर में स्थित है। शनिवार की सुबह यहां रहने वाली गर्भवती महिला सुष्मिता को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने बिना समय गवाएं डायल 112 में जानकारी देकर मदद मांगी गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए 112 के आरक्षक विपिन किशोर खलखो एवं चालक छोटू दास महंत मौके के लिए रवाना हुए। सड़कें खराब होने के कारण वाहन का गांव तक पहुंचना मुमकिन नहीं था। गांव तक गाड़ी नहीं पहुंच पाने की वजह से डायल 112 की टीम वाहन को नीचे में ही खड़े कर तीन किलोमीटर तक का पैदल सफर तय करते हुए गर्भवती महिला तक पहुंचे और फिर महिला को लाठियों के जरिए कंधे पर लादकर वाहन तक लाया गया। महिला को नजदीकी अस्पताल ले जाया जा रहा था। लेकिन प्रसव पीड़ा अधिक बढ़ जाने की वजह से वाहन को रास्ते मे ही रोककर नाला किनारे एक पेड़ के नीचे महिला का प्रसव कराया गया। जिसके बाद महिला को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जमरगा लाया गया। जहां जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
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