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Gustakhi Maaf: क्या वाकई सच हो जाएंगी भविष्यवाणियां

-दीपक रंजन दास
ज्योतिषियों और भविष्यवक्ताओं का इतिहास भी लगभग उतना ही पुराना है जितना मानव सभ्यता का. दुनिया भर में होने वाली बड़ी उथल-पुथल भरी घटनाओं के समय अकसर याद आ जाते हैं भविष्यवक्ता। कई बार उनकी भविष्यवाणियां सटीक भी बैठती हैं। भले ही ये भविष्यवक्ता आज हमारे बीच नहीं हैं पर उनकी पुस्तकों से भविष्यवाणियां उद्धृत होती रहती हैं। ऐसे भविष्यवक्ताओं में प्रमुख रूप से फ्रांस के नास्त्रेदमस, भारत के संत अच्युतानंद दास और जर्मनी के बाबा वेंगा का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। साल 2024 के लिए भी इन लोगों ने कुछ भविष्यवाणियां की हैं। इन सभी भविष्यवक्ताओं का मानना रहा है कि 2024 में दुनिया का सबसे बड़ा भूकम्प आ सकता है। कुछ देशों में विद्रोह और गृहयुद्ध की स्थिति बन सकती है। एक भीषण बाढ़ से दुनिया में हाहाकार मच जाएगा। बाबा वेंगा ने कहा था कि 2024 तक चीन दुनिया की महाशक्ति बन जाएगा। इसके साथ ही धरती का मौसम बुरी तरह प्रभावित होगा। ठंडी जगहें गर्म हो जाएंगी और गर्म जगहें ठंडी हो जाएंगी। ग्लेशियर पिघलने लगेंगे और समुद्र किनारे बसे हुए शहर जलमग्न हो जाएंगे। नास्त्रेदमस का आकलन है कि हिमालय में हजारों साल से तपस्या कर रहे चमत्कारिक और रहस्यमय साधु आबादी के बीच आएंगे। पूर्व का कोई सम्राट मुक्तिदाता बन कर आएगा जिसकी बात सभी लोग मानेंगे। कोई ऐसी खोज होगी जो मनुष्य जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी। इसी साल भारत अंतरिक्ष में अपनी विशेष सत्ता कायम कर लेगा। आज देशों के बीच युद्ध हो रहे हैं, चीन ने महाशक्तिशाली रडार तैयार कर लिया है जो हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी ट्रैक कर सकता है। इसे अब तक असंभव माना जाता था। मौसम परिवर्तन को लेकर हाय-तौबा तो पिछले कई सालों से मची हुई है पर जिम्मेदार लोगों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। थोड़े से पौधे लगाकर ही हम आज भी पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति अपनी जवाबदेही की इतिश्री कर लेते हैं। इस साल मौसम ने ऐसी पल्टी मारी है कि मौसम विभाग भी बारिश को लेकर 24 घंटे तक की जानकारी नहीं दे पा रहा है। जहां तक गृहयुद्ध का सवाल है यहां ब्रिटेन की राजनीति पर एक नजर मार लेना जरूरी होगा। अक्टूबर 2022 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने ऋषि सुनक को करारी हार का सामना करना पड़ा। वो ब्रिटेन के सबसे दौलतमंद सांसद थे। इसके बाद से ही उनपर आरोप लगते रहे कि उनके जैसे रईस का आम आदमी की परेशानियों से कोई जुड़ाव नहीं है। भारत में भी हालात जुदा नहीं हैं। यहां भी सत्ता जाते-जाते बची है। लोगों को लगता है कि सरकार का गरीब की दुश्वारियों से कोई वास्ता नहीं है। रोजगार स्थिर है जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है और सरकार इसके बारे में बात तक नहीं करती। पर यहां की राजनीति ब्रिटेन से बहुत अलग है। यहां मानकर चलते हैं कि गरीबी और गरीबों के कष्ट हमेशा बने रहेंगे।

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