आत्मानन्द स्कूल सरकन्डा में बच्चों से बाल मजदूरी…प्राचार्य के आगे शिक्षा सिस्टम पस्त…खाली कराया गया किताबों से भरा पिकअप
बिलासपुर—कोई शक नहीं कि स्वामी आत्मानंद उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय सरकन्डा और विवादों के बीच चोली दामन का नाता है। जिला प्रशासन लाख चाहे लेकिन स्वामी आत्मानन्द स्कूल सरकंडा प्रबंधन सुधरने को तैयार नहीं है। एक बार फिर प्राचार्य का तुगलकी फरमान सिस्टम और बच्चों के साथ अभिभावकों पर भारी पड़ते नजर आ रहा है। प्राचार्य के फरमान पर स्कूल में अंग्रेजी पढ़ने आए बच्चे बाल मजदूरी करने को मजबूर है। ऊपर से प्रबंधन का तुर्रा कि बच्चों को स्वावलम्बी बनाया जा रहा है।
स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट बालक उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय सरकंडा का विवादों से गहरा नाता रहा है। अभी शिक्षा सत्र प्रारम्भ हुए चंद दिन ही हुए हैं। नए सत्र के शुरूआती दिनों में ही आत्मानन्द स्कूल का ताजा विवाद सामने आया है। प्रभारी प्राचार्य के संरक्षण में स्कूल के बच्चों से बाल मजदूरी करवाए जाने का प्रकरण आग की तरह फैल गया है। जानकारी देते चलें कि इसके पहले भी स्कूल में बच्चों से कक्षा की सफाई और दिव्यांग महिला शिक्षिका के अलावा बीमार व्याख्याता के साथ अत्याचार का मामला सामने आ चुका है। लेकिन तत्कालीन समय स्कूल प्रबंधन ने बेहतर प्रबंधन कर मामले को किसी तरह सुलझा लिया। अब शाला प्रवेशोत्सव के बाद बच्चों से बाल मजदूरी का नया सामला सामने आ गया है।
प्रवेशाोत्सव में बड़ी बड़ी बातें
बताते चलें कि 25 जून को शासन के निर्देश पर पूरे प्रदेश समेत बिलासपुर में भी शाला प्रवेशोत्सव धूमधाम से मनाया गया। शासन के निर्देश पर जिले के कमोबेश सभी स्कूलों में प्रशासन और शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों ने बच्चों का शाला पहुंचने पर रोली चन्दन और फूल के साथ स्वागत किया। कार्यक्रम का आयोजन कर सभी ने लच्छेदार भाषण दिया। खासकर आत्मानन्द स्कूल में अंग्रेजी शिक्षा को लेकर अधिकारियों ने बड़ी बड़ी बातें कही।
अंग्रेजी पढ़ने आए..मजदूर बन गए
लेकिन ठीक एक सप्ताह बाद शासन प्रशासन के सभी बातें ढाक के तीन पात साबित हुए हैं। खासकर सरकन्डा मुक्तिधाम स्थित स्वामी आत्मानन्द उत्कृष्ट बालक उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय प्रबंधन के आगे प्रशासन के सभी दावे नाक रगड़ते नजर आने लगे हैं। यह जानते हुए कि नौनिहालो को उनके माता पिता ने बड़े अरमानो से अंग्रेजी पढ़ने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट भेजा। लेकिन स्कूल में बच्चो से प्रभारी प्राचार्य के आदेश से बाल मजदूरी का काम लिया जा रहा है। डरते सहमते कुछ बच्चो ने बताया कि प्रभारी प्राचार्य ने पिकअप से किताबों को उतारकर स्कूल में जमाने को कहा है। हम वही कर रहे हैं। इसके पहले उन्होने कमरों की सफाई भी करवाया है।
अंग्रेजी पढ़ने आए..मजदूर बन गये
स्कूल प्रबंधन के स्टाफ ने बताया कि आत्मानन्द स्कूल में करीब 500 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। नए सत्र में हमेशा की तरह सभी बच्चों के लिए सरकार ने पुस्तक भेजा है। मजदूर नहीं मिलने पर प्राचार्य के आदेश पर बच्चों ने ही सैकड़ों बन्डल पुस्तक गाड़ी से उतारकर स्कूल मे जमाया है। निश्चित रूप से यह बाल मजदूरी है। ऐसा किया जाना नियम के खिलाफ है। लेकिन हम कर ही क्या सकते हैं।
विवादों से गहरा नाता
जानकारी देते चलें कि इसके पहले भी वर्तमान प्रभारी प्राचार्य का नाम अनेक विवादों से जुड़ा रहा है। कई मामलों में जांच की कार्रवाई हुई है। प्रभारी प्राचार्य को विवोदों से बचाने के लिए प्रशासन के आदेश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने ट्रांसफर कर दूसरे विद्यालय से संलग्न कर दिया था। नाम नहीं छापने की सूरत में व्याख्याताओं ने बताया कि प्रभारी प्राचार्य काफी रसूखदार हैं। आलाधिकारियों का वरद हस्त है। शिकायत होने पर कुछ दिनों के लिए उन्हें हटा दिया जाता है..फिर माहौल शांत होते ही प्रभारी बना दिया जाता है। देखने वाली होगी कि बच्चो को मजदूरी वाले मामले में कोई कठोर कार्यवाही होती है या नहीं। या फिर पहले की तरह इस विवाद पर पर्दा डाल दिया जाता है।
शिक्षा अधिकारी को फुरसत नहीं
मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से बातचीत का प्रयास किया गया। लेकिन हमेशा की तरह उन्होने ना तो फोन उठाया। और ना ही फोन का कोई जवाब ही आया। शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की माने तो जिला शिक्षा अधिकारी के ढुलमुल रवैया से बिलासपुर शिक्षा जगत का सारा तंत्र धीरे धीरे ठप्प होता जा रहा है।