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AVCF के जरिए कृषि व्यवसाय की संभावनाओं पर कार्यशाला, कृषि व वित्त विभाग के एक्सपर्ट्स ने रखे अपने विचार

राजधानी दिल्ली में आयोजित की गई कार्यशाला, ऐग्रिकल्चर फाइनेंसिंग के भविष्य पर भी हुई चर्चा

नई दिल्ली। कृषि और किसान कल्याण विभाग ने नई दिल्ली में गुरुवार को इनोवेटिव ऐग्री वैल्यू चेन फाइनेंसिंग क्रेडिट के माध्यम से भारतीय कृषि व्यापार के पोटेंशियल को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यशाला में भारत सरकार और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, विशेषज्ञों और हितधारकों ने कृषि वित्तीय क्रेडिट के डायनामिक्स पर चर्चा की। कृषि वित्तीय श्रृंखला में कृषि वित्त के महत्व पर विचार करते हुए कृषि और किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ मनोज आहूजा ने प्रोडक्शन-केंद्रित दृष्टिकोण से मांग-प्रेरित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि AVCF के जरिए कृषि व्यवसाय की आपार संभावनाएं हैं।

सचिव डॉ मनोज आहूजा ने कहा कि “कृषि मूल्य श्रृंखलाओं को समग्र रूप से विकसित करने और उन्हें वैश्विक बाजारों से एकीकृत करने के लिए, हमें अब उपलब्धि की कमी को सिर्फ पूरा करने के बजाय बाजार की मांगों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने AVC विकास के लिए सहयोगी डिजिटल प्रणालियों को प्रभावी बनाने पर महत्व दिया और सभी हितधारकों के लिए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए एक समग्र नीति कार्यक्रम की आवश्यकता को उजागर किया। इसके अलावा उन्होंने तरलता और आर्थिक स्थिरता में सुधार के लिए बिल डिस्काउंटिंग, ब्रिज फाइनेंसिंग, और जोखिम संरक्षण जैसे वित्तीय उपकरणों, को प्रयोग में लाने की मांग की। “इन उपकरणों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए, सरल आवेदन प्रक्रियाओं और प्रशासनिक विघटनाओं को कम करना महत्वपूर्ण है।

डिजिटल वित्तीय सेवाओं पर जोर
कार्यशाला में वित्त सचिव डॉ. विवेक जोशी, ने डिजिटल वित्तीय सेवाओं (DFS) की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो ऐग्री वैल्यू चेन फाइनेंसिंग में समय पर क्रेडिट प्रदान करते हैं, और कृषि क्रेडिट की उपलब्धता में वृद्धि लाते हैं। “हमारा ध्यान इस पर है कि वैल्यू चेन के माध्यम से किसानों को समर्थन प्रदान करने के लिए समय पर क्रेडिट की सस्ती व सुलभ पहुंच सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा एनबीएफसी, फिंटेक और स्टार्टअप्स के महत्व को भी दर्शाया, जो उच्च मूल्यवान कृषि बाजारों में विशेष वित्तीय उत्पादों और आखिरी मील तक क्रेडिट की पहुंच प्रदान करते हैं।

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने साझा किए अपने अनुभव
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था जागरूकता बढ़ाना, सहयोग सुविधा प्रदान करना, समाधानों की खोज करना, और उद्यमियों को नवाचारी कृषि वित्त समाधानों से सशक्त बनाना। इस कार्यशाला में विभिन्न विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने अपने अनुभव और दृष्टिकोण को साझा किया, जिससे चर्चा में गहराई और विचार का विस्तार हुआ। कार्यशाला ने समूचे क्लस्टर-आधारित कृषि मूल्य श्रृंखला वित्तीय प्रणालियों के संभावनाओं को पहचाना, जिससे सहयोग और पर्यावरण में सुधार की ताकत मिली। इस आयोजन ने कृषि मूल्य श्रृंखला के अंतर्गत सभी वित्तीय उपकरणों तक का तर्कसंगत पहुंच बढ़ाने का मकसद रखा। वित्तीय मॉडल के प्रभावकारिता को बढ़ाने के लिए वर्तमान निधि प्रवाह और स्रोतों के महत्व को समझना, और खुद को संचालनीय कृषि वित्त मॉडलों के विकास में योगदान देना जरूरी माना गया। इसमें उच्च स्तरीय स्ट्रैटेजिक चर्चाएं भी शामिल थी।

ऐसे हो सकता है किसानों की आय में सुधार
कार्यशाला के चर्चा में ICRIER के प्रोफ़ेसर अशोक गुलाटी मुख्यवक्ता के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने कृषि में मांग-प्रेरित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने के महत्व को बताया व किसानों की आय में सुधार के लिए, खाद्य श्रृंखला में पोषण के पहलू पर ध्यान देने की जरूरत और कृषि में जलवायु संवर्धन के विकास की आवश्यकता को भी दर्शाया। प्रारम्भिक रूप से सम्मेलन का स्वागत करते हुए, कृषि और किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव (क्रेडिट), अजीत कुमार साहू ने कृषि मूल्य श्रृंखला वित्तीय क्रेडिट (AVCF) के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता को हाइलाइट किया। उन्होंने यह भी बताया कि अनुमानित अनुपात के अनुसार कृषि मूल्य योग (GVA) 2030 तक 105 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचेगा, जिससे मूल्य श्रृंखला में वित्तीय प्रणाली की अहमियत बढ़ेगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
नाबार्ड के चेयरमैन केवी शाजी, ने किसानों के वित्त पहुंच में सुधार की अत्यावश्यकता पर जोर दिया और एसएचजी और एफपीओ के लिए विश्वसनीय डेटा उपलब्धता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को उठाया, क्योंकि बैंकों के लिए यह डेटा अवगत निर्णय लेने और प्रभावी मूल्य श्रृंखला वित्त प्रदान करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की प्रोत्साहना की, जिसमें कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, और मार्केटिंग को भी शामिल किया गया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता की शासन संरचना को मजबूत करने की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि ये एकीकृत मूल्य श्रृंखला वित्त प्रणालियों की ओर ले जाएंगे।

प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के बीमा और सीईओ रितेश चौहान, ने कृषि में वित्तीय संयंत्र को सशक्त बनाने के लिए प्रदर्शन प्रस्तुत किया। उन्होंने सरकार के समग्र दृष्टिकोण को बताया, जिसमें कृषि मूल्य श्रृंखला वित्त में सम्पूर्ण जोखिम संरक्षण और वित्तीय समर्थन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया। उन्होंने सारथी, एड, किसान ऋण पोर्टल, और एग्रिस्टैक जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की महत्वपूर्णता को भी बताया, जिससे क्रेडिट की उपलब्धता को सुगम बनाया जा सके और कृषि में संवर्धन को मजबूती दी जा सके। पैनल चर्चाओं में विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई, जैसे कि क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण, नवाचारी वित्तीय योजनाओं, और किसान उत्पादक संगठनों को मूल्य श्रृंखला में शामिल करना। विभिन्न पृष्ठभूमियों से विशेषज्ञों ने अपने अनुभव और दृष्टिकोण साझा किए, जिससे चर्चा को समृद्ध किया गया।

इस कार्यशाला ने क्लस्टर-आधारित कृषि मूल्य श्रृंखला के विभिन्न वित्तीय पहलुओं को समझकर, व उनके प्रभाव को बढ़ाने की क्षमता को हाइलाइट किया। इसने कृषि मूल्य श्रृंखला में अभिनवता और सहयोग के अवसरों की पहचान की जा सकती है। उन्होंने यह लक्ष्य भी रखा कि कृषि मूल्य श्रृंखला के वित्तीय साधनों की सुगम पहुंच के लिए रणनीति में सुधार किया जाए। वर्तमान निधि प्रवाह और स्रोतों सहित महत्वपूर्ण वित्त बिंदुओं को समझना, मॉडल की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए आवश्यक समझा गया, जो आत्मनिर्भर कृषि वित्त मॉडल के विकास में मदद करेगा, एक ऐसा मॉडल जो स्केल किए जाने और दोहराए जाने में सक्षम है।

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